एक बड़ा वर्ग ऐसा मान रहा है विराट कोहली (Virat Kohli) को बतौर वनडे कप्तान हटाने का फैसला "बॉस" सौरव गांगुली और जय शाह ने लिया, लेकिन ऐसा नहीं है. पर अब सूत्रों ने खुलासा किया है कि बोर्ड के शीर्ष अधिकारियों ने विराट से कोई बातचीत नहीं की थी. और विराट को वनडे कप्तान न बनाए रखने का फैसला राष्ट्रीय चयन समिति ने लिया. सूत्रों ने बताया कि इस फैसले के पीछे चयन समिति का आधार व्हाइट-बॉल फॉर्मेट में स्प्लिट कैपटेंसी (अलग-अलग) कप्तान होने को टालने का था. पिछले महीने ही न्यूजीलैंड के खिलाफ रोहित शर्मा को टी20 का कप्तान बनाया गया था. और चयनकर्ता नहीं चाहते थे कि टी20 और वनडे में अलग-अलग देश के कप्तान हों. ऐसे में चयनकर्ताओं के पास कोई विकल्प नहीं था, जिस पर बीसीसीआई ने भी प्रोटोकॉल के तहत मुहर लगा दी.
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कोहली के टी20 फॉर्मेट से कप्तानी छोड़ने के ऐलान के तुरंत बाद ही मीडिया और तमाम बाकी वर्गों में यह चर्चा जोर-शोर से शुरू हो गयी थी कि क्या अब सफेद गेंद में भारत के अलग-अलग कप्तान होंगे? क्या विराट के लिए बीसीसीआई अपनी दशकों से चली आ रही परंपरा को तोड़ देगा, वगैरह-वगैरह?
वहीं, विराट ने भी खुद यह कहा था कि वह वनडे की कप्तानी करना चाहते हैं. विराट ने कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया, लेकिन इससे सेलेक्टरों और बोर्ड के सामने संकट खड़ा हो गया, जिसका हल निकालना जरूरी था. ज्यादतर लोगों को लग रहा था कि बीसीसीआई के लिए परंपरा तोड़ना आसान नहीं होगा और यही वजह रही कि सेलेक्टरों ने रोहित को वनडे की कप्तानी देते हुए व्हाइट-बॉल फॉर्मेट की पूरी जिम्मेदारी उनके कंधों पर डाल दी.
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इसका मतलब अब साफ है कि रोहित जहां अगले साल होने वाले टी20 वर्ल्ड कप में भारत के कप्तान होंगे, तो वहीं साल 2023 में भारतीय धरती पर खेले जाने वाले फिफ्टी-फिफ्टी विश्व कप में भी उन्हें नेतृत्व का मौका मिलेगा. जाहिर है कि विराट वर्तमान हालात और भविष्य के लिहाज से बोर्ड की पॉलिसी में फिट नहीं बैठ रहे थे. ऐसे में सेलेक्टरों ने फैसला लेते हुए तमाम सालों और कयासों को डस्टबिन में डाल दिया. वर्तमान सेलेक्शन कमिटी में चेतन शर्मा (अध्यक्ष), अभय कुरुविला, देबाशीष मोहंती, हरविंदर सिंह और सुनील जोशी शामिल हैं.
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