इंग्लैंड के खिलाफ रांची में जारी चौथे टेस्ट (Fourth) का दूसरा दिन इंग्लैंड के नाम रहा. पहली पारी में 353 का स्कोर बनाने के बाद इंग्लिश गेंदबाजों ने मेजबानों पर एक और वार करते हुए दिन का खेल खत्म होने तक उसके 7 विकेट 219 रन पर गिरा दिए हैं. जाहिर है कि दूसरे दिन की समाप्ति के बाद इंग्लैंड ड्राइविंग सीट पर है. और इसी हालात के बाद अब एक अलग ही चर्चा शुरू हो गई है. गंभीर समीक्षक और पंडितों ने भारतीय प्रबंधन के एक बड़े, लेकिन खराब फैसले पर उंगली उठा दी है क्योंकि कोई भी नहीं जानता कि यह फैसला इस मैच में या आगे सीरीज के परिणाम के संदर्भ में कितना भारी साबित हो सकता है.
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यह तो सभी ने देखा कि विशाखापट्टम में बुमराह ने अंग्रेजों के क्या हाल किया था. उनकी यॉर्कर और पंजा अभी भी फैंस के बीच चर्चा में हैं. और वह अभी तक कुल 17 विकेटों के साथ सीरीज में सबसे ज्यादा विकेट चटकाने वाले टॉम हार्टले के बाद दूसरे नंबर पर हैं. लेकिन ऐसा लगता है कि भारतीय प्रबंधन शायद ओवर कॉन्फिडेंस का शिकार हो गया और उसने ऐसा फैसला ले लिया, जिस पर उंगली उठने लगी है.
सवाल ऐसे हो रहे हैं कि जब बुमराह टीम के उप-कप्तान और मुख्य खिलाड़ी हैं, तो कोई भी टीम उन्हें ऐसे समय आराम कैसे दे सकती है, जब वह 2-1 से आगे है. बुमराह को 3-1 की बढ़त सुनिश्चित करने के बाद भी आराम दिया जा सकता था. अनुभवी बल्लेबाजों के साथ कोई भी टीम 350 का स्कोर खड़ा कर दबाव बना सकती है.
यह बातें इंग्लैंड के 353 का स्कोर बनाने के बाद नहीं हो रही थीं, लेकिन भारत बल्लेबाजी का हाल हुआ, तो जाहिर है कि इस सवाल का वजन बहुत ज्यादा बढ़ गया है. रांची में चिंता की बात यह है कि भारत को चौथी पारी में बल्लेबाजी करनी है. और इसमें दो राय नहीं कि अगर बुमराह टीम का हिस्सा होते, तो यहां भारत को बहुत ही ज्यादा फायदा होता.
बातें बनना शुरू हो गई हैं














