कामकाजी महिलाएं, खासतौर पर निजी क्षेत्र में काम करने वाली महिलाएं लैंगिक पक्षपात और कार्यस्थल में शोषण जैसे कई कारणों से नौकरी छोड़ना चाहती हैं। हाल ही में किए गए एक सर्वेक्षण में यह नतीजा निकला है। यह सर्वेक्षण अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस से पहले कराया गया है।
अपने सामाजिक विकास फाउंडेशन के तहत भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग मंडल यानी एसोचैम द्वारा कराए गए इस सर्वे के अनुसार, "लगभग 40 फीसदी कामकाजी माएं अपने बच्चों की परवरिश के लिए नौकरी छोड़ना चाहती हैं। लैंगिक पक्षपात, कार्यस्थल में शोषण और काम का असुविधाजनक समय उन प्रमुख कारणों में शामिल हैं जिनके कारण ज्यादातर महिलाओं ने नौकरी छोड़ने की इच्छा जताई।"
संगठन ने पिछले पखवाड़े के दौरान 500 कामकाजी महिलाओं से उनके करियर से जुड़े लक्ष्यों के बारे में जानने के लिए बातचीत की थी। प्रतिभागियों में से लगभग 25 फीसदी ने कहा कि वे नौकरी छोड़ना चाहती हैं और इसके लिए उन्होंने काम का असुविधाजनक समय, कम वेतन, कार्यस्थल में शोषण, सुरक्षा का अभाव, खराब कार्यस्थिति, उच्च शिक्षा हासिल करना, पारिवारिक मुद्दे और अन्य कई कारण दिए।
200 कामकाजी मांओं में से 80 ने कहा कि वे परिवार के साथ समय नहीं बिता पाने की वजह से नौकरी छोड़ना चाहती हैं। ज्यादातर प्रतिभागियों ने कहा कि उनके संगठनों में उपयुक्त शिकायत निवारण तंत्र नहीं है और वे महिलाओं को सुरक्षित कार्यस्थल मुहैया कराने के लिए न्यायिक जरूरतों को पूरा नहीं करते। साथ ही वहां शिकायतों के लिए बेहद लापरवाह रवैया अपनाया जाता है। शिकायत करने पर उन्हें अधिकारियों से सहयोग नहीं मिलता और नतीजे में उनके हाथ शर्मिदगी आती है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
अपने सामाजिक विकास फाउंडेशन के तहत भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग मंडल यानी एसोचैम द्वारा कराए गए इस सर्वे के अनुसार, "लगभग 40 फीसदी कामकाजी माएं अपने बच्चों की परवरिश के लिए नौकरी छोड़ना चाहती हैं। लैंगिक पक्षपात, कार्यस्थल में शोषण और काम का असुविधाजनक समय उन प्रमुख कारणों में शामिल हैं जिनके कारण ज्यादातर महिलाओं ने नौकरी छोड़ने की इच्छा जताई।"
संगठन ने पिछले पखवाड़े के दौरान 500 कामकाजी महिलाओं से उनके करियर से जुड़े लक्ष्यों के बारे में जानने के लिए बातचीत की थी। प्रतिभागियों में से लगभग 25 फीसदी ने कहा कि वे नौकरी छोड़ना चाहती हैं और इसके लिए उन्होंने काम का असुविधाजनक समय, कम वेतन, कार्यस्थल में शोषण, सुरक्षा का अभाव, खराब कार्यस्थिति, उच्च शिक्षा हासिल करना, पारिवारिक मुद्दे और अन्य कई कारण दिए।
200 कामकाजी मांओं में से 80 ने कहा कि वे परिवार के साथ समय नहीं बिता पाने की वजह से नौकरी छोड़ना चाहती हैं। ज्यादातर प्रतिभागियों ने कहा कि उनके संगठनों में उपयुक्त शिकायत निवारण तंत्र नहीं है और वे महिलाओं को सुरक्षित कार्यस्थल मुहैया कराने के लिए न्यायिक जरूरतों को पूरा नहीं करते। साथ ही वहां शिकायतों के लिए बेहद लापरवाह रवैया अपनाया जाता है। शिकायत करने पर उन्हें अधिकारियों से सहयोग नहीं मिलता और नतीजे में उनके हाथ शर्मिदगी आती है।
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