ब्रिटेन के विश्वविद्यालयों ने कोविड-19 (COVID-19) महामारी की वजह से परेशान चल रहे भारतीय विद्यार्थियों से अपने विश्वविद्यालयों की सहायता सेवा के संपर्क में रहने के लिए कहा है ताकि उन्हें जरूरत के समय मदद और जरूरी सलाह मिल सके.
विश्वविद्यालयों ने यह अपील अभी भारत में ही रह रहे या ब्रिटेन में मौजूद विद्यार्थियों से की है. सोमवार को भारत सरकार ने घोषणा की थी कि वह चरणबद्ध तरीके से सात मई से विदेश में फंसे अपने नागरिकों को देश लाना शुरू करेगी.
नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने मंगलवार को नई दिल्ली में कहा कि एयर इंडिया सात मई से 13 मई के बीच 64 उड़ानों का संचालन करेगी जिसके जरिए लॉकडाउन की वजह से विदेश में फंसे 15,000 भारतीयों को वापस लाया जाएगा.
भारत सरकार बृहस्पतिवार से ब्रिटेन से अपने नागरिकों को लाने के पहले चरण की शुरुआत करेगी लेकिन ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय विद्यार्थियों को अब भी देश लौटने के लिए इंतजार करना पड़ सकता है. विश्वविद्यालयों ने कहा कि वह ऐसे विद्यार्थियों को मदद देना जारी रखेंगे.
यूनिवर्सिटीज यूके इंटरनेशनल की निदेशक विवियन स्टर्न ने कहा, "हम इस बात से अवगत हैं कि कई भारतीय विद्यार्थी धन और आवास को लेकर चिंतित हैं, उन्हें अपने परिवार की याद सता रही है और यह भी समझा जा सकता है कि इस वैश्विक महामारी की वजह से वह अपने घर से दूर होने की वजह से परेशान हैं. ऐसे में विद्यार्थियों को मेरा संदेश है: कृपया अपने विश्वविद्यालयों से बात करें."
यूनिवर्सिटीज यूके इंटरनेशनल ब्रिटेन के 143 विश्वविद्यालयों का प्रतिनिधित्व करता है. ब्रिटेन के विश्वविद्यालयों में यूरोपीय संघ से बाहर बड़ी तादाद में भारतीय विद्यार्थी पढ़ते हैं. चीन के बाद दूसरे स्थान पर भारतीय विद्यार्थी यहां हैं. ब्रिटेन के गृह विभाग ने वीजा अवधि खत्म होने वाले विदेशी विद्यार्थियों और पेशेवेरों की वीजा अवधि कम से कम 31 मई तक के लिए बढ़ा दी है.
शुरुआती चरण में प्रत्येक यात्री को टिकट पर 50,000 रुपये का खर्चा वहन करना पड़ेगा जिसमें देश में पृथक वास अवधि का खर्चा भी शामिल है.
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