
अगर आप अपनी किसी पुरानी रिसर्च या प्रकाशित किसी पुराने दस्तावेज के विवरण या तथ्यों का इस्तेमाल किसी नये काम में करते हैं तो यह आत्म-साहित्यिक चोरी यानी Self-Plagiarism की श्रेणी में आएगा और अब इसकी बाकायदा जांच भी की जाएगी. ऐसा होने पर संबंधित सदस्य के करियर की ग्रोथ में रुकावट आ सकती है.
यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC) ने शिक्षा के क्षेत्र में आत्म-साहित्यिक चोरी (Self-Plagiarism) की जांच करने के लिए निर्देश जारी किए हैं. जल्द ही यूजीसी टेक्स्ट रिसाइक्लिंग/ सेल्फ प्लेगरिज्म को जांचने के लिए मापदंड भी जारी करेगा.
यूजीसी की वेबसाइट पर उपलब्ध एक नोटिस में बताया गया है कि बिना पर्याप्त रिफरेंस के पहले से पब्लिश किसी सामग्री का इस्तेमाल दोबारा अपने नये काम में करना स्वीकार नहीं किया जाएगा. ऐसे किसी भी नये दस्तावेज या काम को टेक्स्ट रीसाइक्लिंग या आत्म-साहित्यिक चोरी (Self-Plagiarism) माना जाएगा.
मिसाल के तौर पर किसी पब्लिश वर्क में इस्तेमाल हो चुके डाटा को दोबारा से इस्तेमाल करना, बिना रिफरेंस दिए किसी दूसरे कार्य में पब्लिश करना, किसी लंबी स्टडी या रिपोर्ट को टुकड़ों में बांटकर नए तरीके से पब्लिश करना या फिर अपने किसी पब्लिश हो चुके कार्य को दोबारा से बिना किसी रिफरेंस के इस्तेमाल करना सभी आत्म-साहित्यिक चोरी (Self-Plagiarism) माना जाएगा
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