राष्ट्रपति की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
आज भले ही समाज में महिलाएं किसी भी तरह से पुरुषों से कम नहीं हैं, लेकिन एक वह भी दौर था जब महिलाओं को अपनी भागीदारी के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ा. अलग-अलग क्षेत्र में अपने संघर्ष की वजह से ही ऐसी महिलाओं ने अपनी एक अलग पहचान बनाई. उनके प्रयास की वजह से उनके समाज की अन्य महिलाएं भी अलग-अलग क्षेत्र में अपनी किस्मत आजमां रही हैं. आज हम ऐसे ही कुछ महिलाओं से आपको रूबरू कराने जा रहे हैं जिन्होंने पहली बार सारी हदें पार कर न सिर्फ एक नया मुकाम हासिल किया बल्कि दूसरों के लिए भी मिसाल बनीं.
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ऐसी ही 112 विभिन्न क्षेत्रों और पेशों से ताल्लुक रखने वाली 'पहली भारतीय महिलाएं' जिनमें कई गुमनामी में खो गई अभिनेत्रियां, पहली महिला कुली से लेकर ऑटो-रिक्शा चालक, पहली महिला ट्रेन, बस चालक और यहां तक कि पहली बारटेन्डर और सेना, नौसेना में जाने वाली पहली महिला जिन्होंने अपने पेशे से संबंधित क्षेत्रों में हदों के पार जाकर शानदार काम किया. उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में सम्मानित किया.
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112 महिलाओं की सूची न सिर्फ परंपरागत पेशे से है, बल्कि बेहद अलग पेशों से भी है. उन लोगों ने देश की पहली पेशेवर कॉफी टेस्ट करने वाली महिला, पहली महिला जासूस, पहली महिला बॉडीबिल्डर प्रतियोगी, पहली साइबर अपराध जांचकर्ता और पहली महिला बैगपाइप कलाकार को भी शामिल किया.सम्मानित महिलाओं के बीच पहली ऑटो-रिक्शा चालक शीला दावरे भी हैं. जिन्होंने 1988 में रूढ़िवादी मान्यताओं को झुठलाते हुए ऑटो-रिक्शा चलाना शुरू किया. दावरे ने बताया कि मेरे माता-पिता शिक्षित थे, लेकिन जब मैंने ऑटो-रिक्शा चालक बनने का फैसला किया तो किसी ने मेरा साथ नहीं दिया.
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मास्टर शेफ इंडिया जीतने वाली पहली भारतीय महिला पंकज भदौरिया ने बताया कि यह एक खूबसूरत पहल है. यह न सिर्फ उन महिलाओं को पहचान दे रहा है, जो पहले से ही अच्छा कर रही हैं, बल्कि युवा लड़कियों को भी आगे आने और जीवन में अच्छा काम करने के लिए प्रेरित करेगा.खेल के क्षेत्र से जुड़ी कई महिलाओं को भी सम्मानित किया गया. रियो ओलंपिक में क्वालीफाई करने वाली पहली महिला जिम्नास्ट दीपा करमाकर, भारती की पहली महिला क्रिकेटर, जिन्हें मेरीलेबोन क्रिकेट क्लब (एमसीसी) की आजीवन सदस्यता मिली, पैरालंपिक खेलों में पहला पदक जीतने वाली भारतीय महिला दीपा मलिक और ओलंपिक खेलों में रजत पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पी.वी. सिंधु भी शामिल हैं.
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लेफ्टिनेंट कर्नल (सेवानिवृत्त) जोसीसिला फरीदा रेहाना, भारतीय सेना की पहली महिला पैराट्रपर (एएमसी) ने आईएएनएस को बताया कि यह उनके लिए किसी लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से कम नहीं है। 1940 में मैसूर में जन्मी रेहाना 1964 में भारतीय सेना में शामिल हुई थीं.(इनपुट आईएएनएस से)
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ऐसी ही 112 विभिन्न क्षेत्रों और पेशों से ताल्लुक रखने वाली 'पहली भारतीय महिलाएं' जिनमें कई गुमनामी में खो गई अभिनेत्रियां, पहली महिला कुली से लेकर ऑटो-रिक्शा चालक, पहली महिला ट्रेन, बस चालक और यहां तक कि पहली बारटेन्डर और सेना, नौसेना में जाने वाली पहली महिला जिन्होंने अपने पेशे से संबंधित क्षेत्रों में हदों के पार जाकर शानदार काम किया. उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में सम्मानित किया.
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