
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोमवार को कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल डिग्री प्राप्त करना नहीं बल्कि एक अच्छा इंसान बनना है. राष्ट्रपति कोविंद ने यहां के गुरू घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय के आठवें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल डिग्री प्राप्त करना नहीं है बल्कि एक अच्छा इंसान बनना है. उन्होंने कहा, ‘‘मैं कहना चाहता हूं कि जो अच्छा इंसान होगा तो यदि वह डॉक्टर होगा तब अच्छा डॉक्टर होगा, शिक्षक होगा तब एक अच्छा शिक्षक होगा, विद्यार्थी होगा तब अच्छा विद्यार्थी होगा.'' उन्होंने कहा, ‘‘एक अच्छा इंसान एक अच्छा पिता और अच्छा पति हो सकता है. इसी प्रकार बेटियां अच्छी पत्नी, अच्छी मां और अच्छी बेटी होंगी.'' राष्ट्रपति ने विद्या में नैतिक मूल्यों के समावेश पर बल देते हुए कहा कि विद्या में नैतिक मूल्यों का समावेश बहुत आवश्यक है, क्योंकि नैतिक मूल्यों के बिना प्राप्त विद्या समाज के लिए कल्याणकारी नहीं होती है.
उन्होंने कहा कि विश्वद्यालय का यह कर्तव्य है कि वह विद्यार्थियों में अनुशासन, सहिष्णुता, कानून के प्रति सम्मान और समय पालन जैसे जीवन मूल्यों का संचार करें. उन्होंने कहा कि इससे सभी विद्यार्थी एक लोकतांत्रिक देश के सच्चे नागरिक बन सकेंगे और कानून के शासन को मजबूत करेंगे. राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि आज दुनियाभर में भारत की पहचान एक आधुनिक और उद्यमी राष्ट्र के रूप में हो रही है. इसके लिए सभी देशवासियों और विशेषकर परिश्रमी युवा बधाई के पात्र है. परिश्रमी युवाओं के दम पर ही हम आधुनिक प्रौद्योगिकी से लेकर अंतरिक्ष विज्ञान तक के क्षेत्र में अभूतपूर्व उपलब्धि हासिल करने में सफल हुए हैं.
राष्ट्रपति ने विभिन्न परीक्षाओं में सफल होने वाले विद्यार्थियों को तथा पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को बधाई दी. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि स्वर्ण पदक प्राप्त करने वालों में बेटियों की संख्या अधिक है. बेटियों की उपलब्धियों को देखकर भरोसा होता है कि अवसर मिलने पर बेटियां हर क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकती है. यह सुनहरे भारत की तस्वीर है.'' उन्होंने विद्यार्थियों से कहा, ‘‘आपको जो सफलता मिली है उसमें आपके माता-पिता और शिक्षकों की बहुत बड़ी भूमिका है.''
राष्ट्रपति ने अपने पिछले छत्तीसगढ़ प्रवास को याद करते हुए कहा कि पिछले प्रवास के दौरान उनकी मुलाकात राज्य के किसानों और कुछ महिला स्व-सहायता समूहों से हुई थी जो खेती, बागवानी, पशुपालन, मुर्गी पालन, शहद उत्पादन और जैविक खेती का कार्य कर आर्थिक स्वतंत्रता की एक मिसाल पेश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि पिछले प्रवास के दौरान नक्सली हिंसा से प्रभावित परिवारों के बच्चों के लिए स्थापित आस्था विद्या मंदिर में विद्यार्थियों से उनके अनुभव सुने और उनके संकल्प की शक्ति को भी देखा था.
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘मुझे विश्वास है कि नक्सलवादी हिंसा से प्रभावित परिवारों को शिक्षा की रोशनी के सहारे आगे बढ़ने का अवसर प्राप्त हो रहा है और उससे हिंसा और आतंक के दुष्प्रभाव को कम किया जा सकता है.'' दीक्षांत समारोह में राज्यपाल अनुसुईया उइके, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कुलाधिपति प्रोफेसर अशोक मोडक भी मौजूद थे. इस दौरान राष्ट्रपति ने नौ उत्कृष्ट छात्र-छात्राओं को स्वर्ण पदक प्रदान किये. दीक्षांत समारोह में 74 छात्रों को स्वर्ण पदक प्रदान किये गये तथा 75 विद्यार्थियों को पीएचडी की उपधि दी गई.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं