नयी दिल्ली:
बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सीबीएसई द्वारा जारी संशोधित दिशानिर्देशों के मुताबिक स्कूल बसों में अब जीपीएस, सीसीटीवी कैमरे और गति नियंत्रक होंगे.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि हाल ही में उत्तर प्रदेश में हुई एक बस दुर्घटना के मद्देनजर इन दिशानिर्देशों को मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के निर्देशों पर जारी किया गया है.
सीबीएसई के एक परिपत्र में कहा गया है, ‘‘बस की खिड़कियों पर तार की जाली लगाई जानी चाहिए. स्कूल बसों में 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार के साथ गति नियंत्रक लगाए जाने चाहिए.’’ इसमें कहा गया है, ‘‘जीपीएस और सीसीटीवी की व्यवस्था हर वाहन में अनिवार्य की जानी चाहिए और यह हर वक्त चालू हालत में हो.’’ परिपत्र में कहा गया है कि स्कूल प्रबंधन और स्कूल के प्रमुख किसी भी चूक के लिए जिम्मेदार ठहराए जाएंगे और मान्यता भी खत्म की जा सकती है. स्कूल बसों में चेतावनी की घंटी और सायरन लगी हो.
इसमें कहा गया है कि स्कूल प्रशासन को स्वैच्छिक रूप से यह इंतजाम भी करने को कहा गया है कि हर स्कूल बस में कम से कम एक अभिभावक उपस्थित हों जो चालक और अन्य कर्मचारी के व्यवहार की निगरानी कर सकें.
बच्चों की सुरक्षा के लिए एक परिवहन प्रबंधक और एक प्रशिक्षित महिला एटेंडेंट को नियुक्त किया जाए. स्कूल बस के अंदर एक मोबाइल फोन मुहैया करे ताकि आपात स्थिति में उसका इस्तेमाल हो सके.
छात्रों को परिवहन सुविधा, खासतौर पर चालक के बारे में अपनी प्रतिक्रिया देने को कहा जाए. गौरतलब है कि पिछले महीने उत्तर प्रदेश में ऐटा के पास एक स्कूल वाहन की एक लॉरी से टक्कर हो गई थी जिसमें 12 बच्चे मारे गए थे जबकि 35 अन्य घायल हो गए थे.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि हाल ही में उत्तर प्रदेश में हुई एक बस दुर्घटना के मद्देनजर इन दिशानिर्देशों को मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के निर्देशों पर जारी किया गया है.
सीबीएसई के एक परिपत्र में कहा गया है, ‘‘बस की खिड़कियों पर तार की जाली लगाई जानी चाहिए. स्कूल बसों में 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार के साथ गति नियंत्रक लगाए जाने चाहिए.’’ इसमें कहा गया है, ‘‘जीपीएस और सीसीटीवी की व्यवस्था हर वाहन में अनिवार्य की जानी चाहिए और यह हर वक्त चालू हालत में हो.’’ परिपत्र में कहा गया है कि स्कूल प्रबंधन और स्कूल के प्रमुख किसी भी चूक के लिए जिम्मेदार ठहराए जाएंगे और मान्यता भी खत्म की जा सकती है. स्कूल बसों में चेतावनी की घंटी और सायरन लगी हो.
इसमें कहा गया है कि स्कूल प्रशासन को स्वैच्छिक रूप से यह इंतजाम भी करने को कहा गया है कि हर स्कूल बस में कम से कम एक अभिभावक उपस्थित हों जो चालक और अन्य कर्मचारी के व्यवहार की निगरानी कर सकें.
बच्चों की सुरक्षा के लिए एक परिवहन प्रबंधक और एक प्रशिक्षित महिला एटेंडेंट को नियुक्त किया जाए. स्कूल बस के अंदर एक मोबाइल फोन मुहैया करे ताकि आपात स्थिति में उसका इस्तेमाल हो सके.
छात्रों को परिवहन सुविधा, खासतौर पर चालक के बारे में अपनी प्रतिक्रिया देने को कहा जाए. गौरतलब है कि पिछले महीने उत्तर प्रदेश में ऐटा के पास एक स्कूल वाहन की एक लॉरी से टक्कर हो गई थी जिसमें 12 बच्चे मारे गए थे जबकि 35 अन्य घायल हो गए थे.
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