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This Article is From Feb 16, 2017

भारी-भरकम स्कूली बस्तों का बोझ कम करने की तैयारी में मोदी सरकार

भारी-भरकम स्कूली बस्तों का बोझ कम करने की तैयारी में मोदी सरकार
नयी दिल्ली: ‘‘मैं स्कूल बस्तों का बोझ कम करने जा रहा हूं. भारी बस्ता ढोना जरूरी नहीं है. यह निश्चित रूप से होगा. हम सीबीएसई स्कूलों के लिए नियमों की तैयारी कर रहे हैं ताकि गैरजरूरी रूप से किताब और कॉपी नहीं ले जाना पड़े.’’ केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने ये बात सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) द्वारा नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में कही. 

समारोह में कई स्कूलों के बच्चे की उपस्थिति में उन्होंने बताया कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय अब छात्रों के स्कूली बैगों का बोझ कम करने के इरादे से सीबीएसई स्कूलों के लिए नया मानदंड तैयार करने पर काम कर रहा है.

सीबीएसई के नियमों को और अधिक प्रभावी बना रही है सरकार
मंत्रालय के अधिकारियों ने यह जानकारी दी है कि सीबीएसई ने अपने स्कूलों से दूसरी कक्षा तक के छात्रों को स्कूल बस्ता लेकर नहीं आने और आठवीं कक्षा तक सीमित किताब लेकर आने का निर्देश दिया है. साथ ही मानव संसाधन विकास मंत्रालय इन मानदंडों को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए इन पहलूओं पर काम कर रही है.

स्कूल बैग्स पर सीबीएसई द्वारा सुझाए गए मानक
- छात्र रोजाना अपने स्कूल बैग्स को पैक करें, उसमें से अनावश्यक चीजें निकालें
- स्कूल प्रशासन भी बच्चों के स्कूल बैग्स को नियमित तौर पर चेक करें कि उसका वजन ठीक है या नहीं
- स्वच्छ पानी की आपूर्ति स्कूल में ही सुनिश्चित हो
- कक्षा पहली, दूसरी के बच्चों को होमवर्क न दिया जाए, उन्हें बैग लाने की जरूरत न हो
प्रोजेक्ट वर्क में भी बदलाव की तैयारी
जावड़ेकर ने बताया कि स्कूली बच्चों को दिये जाने वाले प्रोजेक्ट कार्य में भी बदलाव की वह योजना बना रहे हैं. उन्होंने इस बात का जिक्रम किया कि आमतौर पर माता-पिता अपने बच्चों को दिये गये कामों को पूरा करते हैं.

किया अपने परिवार की एक घटना का जिक्र
अपने परिवार की एक घटना का उल्लेख करते हुये जावड़ेकर ने कहा कि एक बार उन्होंने देखा कि उनकी पोती अपनी मां की मदद से घर में होमवर्क कर रही है. जब उससे पूछा कि क्या हो रहा है तो उसने बताया कि वयस्कों की मदद के बिना शिक्षक सौंपे गये कार्य पर ‘स्टार’ नहीं देते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि वास्तविक शिक्षा वहां मिलती है जहां पर बच्चे गलती करते हैं और सीखते हैं. वरिष्ठ मदद कर सकते हैं. माता-पिता को भी शिक्षित होने की जरूरत है.’’

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