3 अप्रैल को पता चलेगा किस यूनिवर्सिटी और इंस्टीट्यूट में है कितना दम, सरकार जारी करेगी रैंकिंग

3 अप्रैल को पता चलेगा किस यूनिवर्सिटी और इंस्टीट्यूट में है कितना दम, सरकार जारी करेगी रैंकिंग

नयी दिल्ली:

3 अप्रैल, 2017 को पता चल जाएगा किस शैक्षणिक संस्थान में कितना दम है. भारत सरकार देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों और शिक्षण संस्थानों की इस वर्ष की रैंकिंग तीन अप्रैल को घोषित करने जा रही है. सरकार यूनिवर्सिटीज़, इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट्स, मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट्स और फार्मेसी इंस्टीट्यूट्स की रैंकिंग लिस्ट जारी करेगी. मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने यह जानकारी दी. 

जावड़ेकर ने बताया कि देश में शिक्षण संस्थानों का मूल्यांकन ‘राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद’ (नैक) और ‘नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रिडिएशन’ (एनबीए) करते हैं. इसके अलावा ‘राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क’ (National Institutional Ranking Framework - एनआईआरएफ) की शुरुआत 2015 में की गयी.

एनआईआरएफ इन 5 बातों के आधार पर संस्थानों को रैंकिंग देता है - 
1. शिक्षण-अधिगम संसाधन (Teaching, Learning and Resources) 
2. अनुसंधान एवं व्यावसायिक प्रक्रियाएं (Research and Professional Practice)
3. पहुंच एवं समावेशिता (Outreach and Inclusivity)
4. अवर स्नातक परिणाम (Graduation Outcome)
5. अवधारणा (Perception)

इस बार रैंकिंग में 43 मेडिकल कॉलेज और 49 लॉ कॉलेज पहली बार शामिल
जावड़ेकर ने रवींद्र कुमार पांडेय के प्रश्न के उत्तर में बताया कि पिछले साल इसमें विभिन्न क्षेत्रों के 3563 संस्थानों को शामिल किया गया और इस साल भी लगभग इतने ही संस्थान शामिल किये गये हैं. इस वर्ष 43 मेडिकल कॉलेज और 49 लॉ कॉलेजों को भी इसमें पहली बार शामिल किया गया है.

पिछले वर्ष 4 अप्रैल को जारी की गई थी 2016 की रैंकिंग
सरकार द्वारा इस संबंध में दिये गये एक उत्तर के मुताबिक एनआईआरएफ ने विश्वविद्यालयों, इंजीनियरिंग, फार्मेसी और प्रबंधन संस्थाओं के लिए बीते वर्ष चार अप्रैल को पहली भारतीय रैंकिंग, 2016 जारी की थी जो एनआईआरएफ की वेबसाइट पर उपलब्ध है. इस वर्ष की रैंकिंग आगामी तीन अप्रैल को घोषित की जाएगी.

जावड़ेकर ने कहा कि इसमें देश के संस्थानों की रैंकिंग को वैज्ञानिक तरीके से मापा जाता है जिससे छात्रों को शिक्षण संस्थान का चुनाव करने में मदद मिल सके.

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय संस्थानों की रैंकिंग के प्रश्न पर जावड़ेकर ने कहा कि वैश्विक स्तर पर भारतीय शिक्षण संस्थानों की रैंकिंग को लेकर उनमें सुधार की काफी संभावनाएं हैं.

उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में 80-90 हजार विद्वान अमेरिका और पश्चिमी देशों के होते हैं लेकिन भारत सरकार अब भारतवंशी समुदाय को इस संबंध में अपने साथ जोड़ रही है तथा अंतरराष्ट्रीय शिक्षकों को यहां पढ़ाने के लिए आमंत्रित किया जाता है जिससे निश्चित रूप से सुधार होगा. (इनपुट एजेंसी से)


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