दुनिया भर की कई महिलाओं ने अपनी उपलब्धियों के दम पर अपने देश का नाम रौशन किया है. 1901 से लेकर 2018 तक 52 बार महिलाओं को नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) मिल चुका है. केवल एक महिला मैरी क्यूरी (Marie Curie) को दो बार इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया, उन्हें 1903 में भौतिकी और 1911 में केमिस्ट्री के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) मिला. आज मैरी क्यरी का जयंती हैं. मैडम क्यूरी (Marie Curie) उन शख्सियतों में से एक थीं जिनके लिए कछ भी असंभव नहीं था. मैडम क्यूरी समस्त विश्व के लिए एक आर्दश उदाहरण हैं. उन्होंने और उनके पति पियरे ने संयुक्त रूप से मिलकर रेडियो एक्टिविटी की अद्भुत खोज की. इस खोज के लिए मैरी और पियरे को 1903 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया. पेरिस यूनिवर्सिटी में पहली महिला प्रोफेसर बनीं मैडम क्यूरी को दूसरा नोबेल पुरस्कार 1911 में केमिस्ट्री में रेडियम के शुद्धिकरण और पोलोनियम की खोज के लिए मिला था.
मैडम मैरी क्यूरी का जन्म 7 नवंबर 1868 को पोलैंड के वार्सा में हुआ था. मैरी की मां और पिता दोनों ही शिक्षक थे. शिक्षकों के परिवार में जन्मी मैरी पढ़ाई-लिखाई में शुरू से ही अच्छी थीं. वह अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए पेरिस चली गईं और वहां वह फ्रांस के भौतिक शास्त्री पियरे क्यूरी से मिलीं. पियरे क्यूरी ने उन्हें अपने लैब में जगह दी. वहां एकसाथ काम करते हुए दोनों एक दूसरे को पसंद करने लगे और 26 जुलाई 1895 को उन्होंने शादी कर ली.
दोनों को 1903 में संयुक्त रूप से नोबेल पुरस्कार मिला था. 1906 में मैरी को झटका तब लगा जब उनके पति की एक्सीडेंट में मृत्यु हो गई.पति के जाने के बाद दोनों बच्चों की जिम्मेदारी मैरी पर थी. मैरी क्यूरी ने अपने बच्चो को अच्छी शिक्षा दी और यही कारण है कि उनकी बेटी आइरिन को रसायन विज्ञान में 1935 में नोबेल मिला था. रेडिएशन के संपर्क में आने के चलते मैरी अपलास्टिक एनीमिया की शिकार हो गईं थी, जिसके चलते 4 जुलाई, 1934 को उनकी मौत हो गई थी
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