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This Article is From Dec 25, 2016

'फेल न करने की नीति' को 8वीं से घटाकर 5वीं कक्षा तक सीमित करने के प्रस्ताव को मंजूरी

'फेल न करने की नीति' को 8वीं से घटाकर 5वीं कक्षा तक सीमित करने के प्रस्ताव को मंजूरी
विधि मंत्रालय ने फेल न करने की नीति को 8वीं कक्षा से घटाकर 5वीं कक्षा तक ही सीमित करने के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी क्योंकि बच्चे ‘‘फेल न होने का डर ना होने के कारण’’ अनुशासनहीन हो रहे हैं.

विधि मंत्रालय ने कहा कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय शिक्षा का अधिकार, 2009 की धारा 16 को संशोधित कर सकता है क्योंकि यह प्रस्ताव उप समिति की सिफारिश पर आधारित है और ‘‘नीति के विषय से संबंधित है.’’ मंत्रालय ने कहा कि स्कूल में दाखिला लेने वाले किसी भी बच्चे को पांचवीं कक्षा की पढ़ाई पूरी करने तक किसी भी कक्षा में अनुत्तीर्ण ना करने या स्कूल से निष्कासित ना करने के प्रावधान पर ‘‘कोई आपत्ति नजर नहीं आती.’’ मौजूदा प्रावधान के अनुसार अनुत्तीर्ण ना करने या एक ही कक्षा में बनाए ना रखने की नीति प्राथमिक शिक्षा पूरी करने तक मान्य है.

आठ दिसंबर के अपने एक नोट में विधि मंत्रालय के कानूनी मामलों के विभाग ने कहा, ‘‘उचित (राज्य) सरकारें जरूरी पड़ने पर छठी, सातवीं या आठवीं कक्षा तक बच्चों को एक ही कक्षा में रोकने के लिए नियम बना सकते हैं लेकिन उसके लिए (छात्रों को दोबारा परीक्षा में शामिल होने देने के लिए) अतिरिक्त मौका दिया जा सकता है.’’ नोट में कहा गया कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने अनुत्तीर्ण ना करने की नीति आठवीं कक्षा से घटाकर पांचवीं कक्षा तक करने का फैसला मौजूदा प्रावधान के ‘‘विभिन्न प्रतिकूल परिणामों’’ की समीक्षा करने के बाद किया.

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