आईआईटी, एनआईटी सहित देश भर के प्रतिष्ठित तकनीकी संस्थान स्वैच्छिक आधार पर राष्ट्रीय राजमार्ग के अपने नजदीकी खंडों को अपनाने के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के साथ सहयोग करेंगे. शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने इस बारे में बताया. राष्ट्रीय राजमार्ग के अपनाए गए नजदीकी खंडों का उपयोग संकाय, शोधकर्ताओं के लिए अध्ययन के क्षेत्र के रूप में और उद्योग में नवीनतम रुझानों से संस्थान के छात्रों को परिचित करने के लिए किया जाएगा.
मंत्रालय एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘‘इस पहल से उम्मीद है कि संस्थान और उद्योग के बीच एक तालमेल बनेगा. इससे राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं पर सिविल-राजमार्ग इंजीनियरिंग के क्षेत्र में संबंधित विशेषज्ञता के प्रसार के लिए संस्थानों और एनएचएआई के बीच आपसी सहयोग भी होगा.'' इस पहल के तहत, साझेदार संस्थान राष्ट्रीय राजमार्ग के अपनाए गए खंडों की सुरक्षा, रख-रखाव, वाहनों की आसान आवाजाही की सुविधा, भीड़भाड़ की जगहों को कम करने और नई तकनीकों के इस्तेमाल में सुधार की संभावनाओं का अध्ययन करेंगे.
इसके बाद विचार के लिए एनएचएआई को वह उपयुक्त सुझाव भी देंगे. उन्होंने बताया कि ये संस्थान नई परियोजनाओं की अवधारणा, डिजाइन और परियोजना की तैयारी के दौरान एनएचएआई के साथ सहयोग करेंगे. बेहतर सामाजिक-आर्थिक नतीजों के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग के अपनाए गए नजदीकी खंडों को लेकर अपना सुझाव देंगे.
अधिकारी ने बताया कि यह पहल छात्र बिरादरी में स्थानीय बुनियादी ढांचे के निर्माण में योगदान की भावना भी पैदा करेगी. एनएचएआई प्रति वर्ष इन संस्थानों के 20 स्नातक और 20 स्नातकोत्तर छात्रों को इंटर्नशिप करने का मौका देगा. इंटर्नशिप की अवधि दो महीने होगी. इंटर्नशिप के दौरान स्नातक छात्रों को 8000 रुपये और स्नातकोत्तर छात्रों को 15000 रुपये प्रति माह दिए जाएंगे.
एनएचएआई इन शिक्षण संस्थानों में प्रयोगशाला के बुनियादी ढांचे के निर्माण में मदद करेगा. उन्होंने बताया कि एनएचएआई को बहुत कम समय में कई प्रतिष्ठित संस्थानों से इस पहल के लिए उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया मिली है. अब तक 18 आईआईटी, 26 एनआईटी और 190 अन्य प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कॉलेजों ने इस योजना को चुना है.
अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रीय राजमार्ग के अपनाए गए नजदीकी हिस्से के लिए तकनीकी संस्थानों और एनएचएआई के बीच उपयुक्त एमओयू पर हस्ताक्षर किए जा रहे हैं और अब तक लगभग 200 संस्थानों ने योजना के कार्यान्वयन के लिए पहले ही एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं. उम्मीद है कि सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक और परास्नातक पाठ्यक्रम चलाने वाले 300 से अधिक तकनीकी संस्थान पूरे देश में राष्ट्रीय राजमार्ग के नजदीकी खंडों को अपनाने की इस योजना में शामिल होंगे.
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