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This Article is From Jan 17, 2018

मिलि‍ए गिरीश शर्मा से, जिन्‍होंने एक टांग गंवाने के बावजूद बैडमिंटन में किया देश का नाम रौशन

अपनी मेहनत और लगन की वजह से इजराइल और थाईलैंड में भी देश का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं गिरीश

मिलि‍ए गिरीश शर्मा से, जिन्‍होंने एक टांग गंवाने के बावजूद बैडमिंटन में किया देश का नाम रौशन
नई दिल्ली: कुछ हासिल करने की जिद्द आपको तमाम मुश्किलों के बाद भी सफलता दिलाती है. ऐसा ही कुछ हुआ देश के लिए विभिन्न चैंपियनशिप और एशिया कप में गोल्ड जीतने वाले गिरीश शर्मा के साथ. बचपन में एक ट्रेन हादसे में अपना एक पैर गंवाने वाले गिरिश आज बैडमिंटन कोर्ट पर देश का नाम रौशन कर रहे हैं. 16 साल की उम्र में गिरिश ने बैडमिंटन खेलना शुरू किया. पहली दफा रैकेट के हाथ में आते ही उन्होंने इस खेल में महारथ हासिल करने की ठानी.

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उन्हें पहली सफलता अपनी कुछ  महीनों की कड़ी मेहनत के बाद मिली. जब उन्होंने दिव्यांग खिलाड़ी के लिए आयोजित होने वाली नेशनल चैंपियनशिप में हिस्सा लेते हुए पहली बार में ही दो गोल्ड मेडल जीत लिया. इस उपलब्धि ने उन्हें भविष्य में अन्य बड़े टूर्नामेंट में मेडल जीतने की उम्मीद दी. इस उम्मीद के साथ ही उन्होंने दिन रात की मेहनत के साथ अपने खेल को हर दिन और बेहतर करना शुरू किया. 

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गिरीश को अपने बेहतर खेल की वजह से ही इजराइल और थाईलैंड में देश का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला. उन्होंने इस मौके को भुनाते हुए इजराइल में सिंगल और डबल मैच में दो सिल्वर मेडल जीते. उन्होंने अपनी मेहनत से पारालंपिक्स एशिया कप में गोल्ड मेडल भी जीता.

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आर्थिक रूप से कमजोर होने के बाद भी गिरिश ने कभी मेहनत करने और अपने खेल को बेहतर करने में कभी कोई कोर कसर नहीं छोड़ी. इसी का नतीजा है कि आज भी उनके साथ खेलने वाले लोग उनकी प्रतिभा से खासे प्रभावित हैं. 

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