
DUSU Scholarships For Female Students: दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ (DUSU) ने नवरात्रि के पावन अवसर पर एक अनूठी पहल शुरू की है, जिसके तहत विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट उपलब्धियां हासिल करने वाली छात्राओं के लिए स्कॉलरशिप की घोषणा की गई है. इस पहल के तहत डीयूएसयू नौ दिनों तक प्रतिदिन एक योग्य छात्रा को 11 हजार रुपये की राशि देगा. आज नवरात्र का तीसरा दिन है, ऐसे में अब तक तीन छात्रों को यह राशि दी जा चुकी है.
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डीयूएसयू फीमेल स्टूडेंट स्कॉलरशिप प्रोग्राम का उद्देश्य महिलाओं को सशक्त बनाना और उनकी शैक्षणिक उत्कृष्टता को सम्मानित करना है. डीयूएसयू स्कॉलरशिप प्रोग्राम के तहत छात्रा को कुल 99,000 रुपये की स्कॉलरशिप दी जाएगी. नवरात्रि के नौ दिनों तक प्रतिदिन एक योग्य छात्रा को 11,000 रुपये की राशि दी जाएगी. दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्राएं अपनी उपलब्धियों के प्रमाण-पत्र 31 मार्च तक गूगल फॉर्म के माध्यम से जमा कर सकती हैं. इस स्कॉलरशिप के एक छात्रा का चयन शैक्षणिक प्रदर्शन, नेतृत्व क्षमता और प्रतिभा के आधार पर आवेदकों के मूल्यांकन के आधार पर किया जाएगा.
कौन हो सकता है पात्र?
यह छात्रवृत्ति उन छात्राओं के लिए है जो पढ़ाई, खेल, एनसीसी, नृत्य, गायन, वाद-विवाद/क्विज, साहित्यिक लेखन, चित्रकला जैसे क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर चुकी हों. इसके अलावा, दिव्यांग (PWD) छात्राओं को भी इस योजना में शामिल किया गया है. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के नेतृत्व में शुरू की गई यह पहल समाज में सकारात्मक योगदान देने वाली छात्राओं को प्रोत्साहित करने का एक प्रयास है.
छात्रों के लिए सुनहरा मौका
डीयूएसयू की यह स्कॉलरशिप न केवल छात्राओं की प्रतिभा को सम्मान देती है, बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने की दिशा में भी सराहनीय कदम है. यह कार्यक्रम नवरात्रि के दौरान महिलाओं की शक्ति और सामर्थ्य का उत्सव मनाने का एक अनुपम तरीका है. अपनी मेहनत और प्रतिभा को पहचान दिलाने के लिए योग्य छात्राओं के लिए यह एक सुनहरा अवसर है.
दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रवेश की चुनौती
हाल ही में शिक्षा मंत्रालय ने संसद को बताया कि पिछले तीन वर्षों (2022-2024) में लगभग पांच लाख छात्र दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रवेश पाने में असफल रहे. राज्य शिक्षा मंत्री सुकांत मजूमदार ने लोकसभा में लिखित जवाब में कहा कि इस दौरान कुल 4,64,870 आवेदकों को सीमित सीटों के कारण प्रवेश नहीं मिल सका. यह आंकड़ा दिल्ली विश्वविद्यालय में बढ़ती मांग और संसाधनों की कमी को दर्शाता है.
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