नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की भूमि पर बने मान्यता प्राप्त एवं गैर-वित्तपोषित प्राइवेट स्कूलों को सातवें वेतन आयोग (सीपीसी) की सिफारिशों के अनुपालन के लिये अपने शुल्क में 15 प्रतिशत बढ़ोतरी करने की मंजूरी दे दी.
शिक्षा निदेशालय की ओर से 17 अक्तूबर को इस आशय का एक परिपत्र जारी किया गया था, जिसके बाद विपक्षी भारतीय जनता पार्टी ने सरकार पर आरोप लगाते हुए इसे उत्पीड़न और माता-पिता के लिए परेशानी वाला कदम बताया. हालांकि सरकार की ओर से जारी परिपत्र के निर्देशों में कहा गया है कि दिल्ली के सभी निजी एवं गैर-वित्तपोषित मान्यता प्राप्त विद्यालयों को उनकी जमीन की स्थिति के बावजूद शुल्क में यह ‘वृद्धि करना अनिवार्य’ नहीं है.
इसमें कहा गया, ‘सबसे पहले सभी स्कूलों को वेतन और कर्मचारियों के भत्ते में वृद्धि के लिये अपने मौजूदा भंडार का उपयोग करते हुये सभी संभावना तलाशनी चाहिए.’ दिल्ली सरकार के परिपत्र ने ऐसे विद्यालयों को दो श्रेणियों में विभाजित किया है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
शिक्षा निदेशालय की ओर से 17 अक्तूबर को इस आशय का एक परिपत्र जारी किया गया था, जिसके बाद विपक्षी भारतीय जनता पार्टी ने सरकार पर आरोप लगाते हुए इसे उत्पीड़न और माता-पिता के लिए परेशानी वाला कदम बताया. हालांकि सरकार की ओर से जारी परिपत्र के निर्देशों में कहा गया है कि दिल्ली के सभी निजी एवं गैर-वित्तपोषित मान्यता प्राप्त विद्यालयों को उनकी जमीन की स्थिति के बावजूद शुल्क में यह ‘वृद्धि करना अनिवार्य’ नहीं है.
इसमें कहा गया, ‘सबसे पहले सभी स्कूलों को वेतन और कर्मचारियों के भत्ते में वृद्धि के लिये अपने मौजूदा भंडार का उपयोग करते हुये सभी संभावना तलाशनी चाहिए.’ दिल्ली सरकार के परिपत्र ने ऐसे विद्यालयों को दो श्रेणियों में विभाजित किया है.
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