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This Article is From Oct 18, 2018

CBSE ने मान्यता संबंधी उप-कानूनों में किया बदलाव

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने स्कूलों को मान्यता देने संबंधी अपने नियमों में बदलाव किया है और अपनी भूमिका शैक्षणिक गुणवत्ता की निगरानी तक सीमित करते हुए आधारभूत ढांचे के ऑडिट की जिम्मेदारी राज्यों पर छोड़ दी है.

CBSE ने मान्यता संबंधी उप-कानूनों में किया बदलाव
CBSE
नई दिल्ली:

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने स्कूलों को मान्यता देने संबंधी अपने नियमों में बदलाव किया है और अपनी भूमिका शैक्षणिक गुणवत्ता की निगरानी तक सीमित करते हुए आधारभूत ढांचे के ऑडिट की जिम्मेदारी राज्यों पर छोड़ दी है. केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने गुरुवार को घोषणा की कि मान्यता देने वाले सीबीएससी के उप कानूनों को पूरी तरह से बदल दिया गया है ताकि त्वरित ,पारदर्शी, परेशानी मुक्त प्रक्रियाओं और बोर्ड का आसानी से काम करना सुनिश्चित किया जा सके.

उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘नए उप कानून पूर्व की बेहद जटिल प्रक्रियाओं से सरल तंत्र में आना दर्शाता है जो प्रक्रियाओं के दोहराव को रोकने पर आधारित है.'' उन्होंने कहा, ‘‘वर्तमान में आरईटी कानून के तहत मान्यता तथा एनओसी देने के लिए राज्य शिक्षा प्रशासन स्थानीय निकायों,राजस्व तथा सहकारी विभागों से मिलने वाले अनेक प्रमाणपत्रों का सत्यापन करता है. आवेदन मिलने के बाद सीबीएसई उनका पुन: सत्यापन करता है और इस प्रकार से पूरी प्रक्रिया लंबी हो जाती है.'' 

जावडेकर ने कहा कि बोर्ड अब उन पहलुओं को नहीं देखेगा जिनका निरीक्षण राज्य कर चुका है. अब सीबीएसई द्वारा स्कूलों का निरीक्षण परिणाम आधारित और शैक्षणिक तथा गुणवत्ता उन्मुख होगा.गौरतलब है कि देश भर में 20,783 स्कूल सीबीएसई से मान्यता प्राप्त हैं. इनमें कम से कम1.9 करोड़ छात्र और 10 लाख से अधिक शिक्षक हैं.  मान्यता देने से जुड़े उप कानून 1998 में बने थे और अंतिम बार 2012 में उनमें बदलाव किया गया था.

(इनपुट - भाषा)

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