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This Article is From Nov 07, 2019

C V Raman: सीवी रमन यूं बने विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार हासिल करने वाले पहले भारतीय

सीवी रमन (CV Raman) को विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) से सम्मानित किया गया था.

C V Raman: सीवी रमन यूं बने विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार हासिल करने वाले पहले भारतीय
C V Raman: सीवी रमन का जन्‍म सात नवंबर 1888 को हुआ था.
नई दिल्‍ली:

वैज्ञानिक सीवी रमन की आज जयंती (C.V. Raman Jayanti) हैं. सीवी रमन (CV Raman) पहले भारतीय थे जिन्हें विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) से सम्मानित किया गया था. सर सीवी रमन (CV Raman) का जन्‍म ब्रिटिश भारत में तत्‍कालीन मद्रास प्रेजीडेंसी (तमिलनाडु) में सात नवंबर 1888 को हुआ था. उनके पिता गणित और भौतिकी के प्राध्यापक थे. सीवी रमन ने प्रकाश प्रकीर्णन के क्षेत्र में अविस्‍मरणीय योगदान दिया. इसके तहत जब प्रकाश किसी पारदर्शी मैटेरियल से गुजरता है तो उस दौरान प्रकाश की तरंगदैर्ध्‍य में बदलाव दिखता है. इसी को रमन प्रभाव कहा जाता है. प्रकाश के क्षेत्र में अपने उत्कृष्ट कार्य के लिए सर सीवी रमन को वर्ष 1930 में नोबेल पुरस्कार दिया गया था. रमन प्रभाव के लिए ही 1954 में उनको सर्वोच्‍च सम्‍मान भारत रत्‍न से नवाजा गया था.

संगीत में गहरी दिलचस्पी रखने वाले सीवी रमन ने वाद्य यंत्रों की ध्वनियों पर भी अनुसंधान किया था और इस बारे में उनका एक लेख जर्मनी के एक विश्वकोष में प्रकाशित हुआ था. सीवी रमन ने तत्कालीन मद्रास के प्रेसीडेन्सी कॉलेज से बीए किया और 1905 में वहां से गणित में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होने वाले वह अकेले छात्र थे. इसी कॉलेज में उन्होंने एमए में प्रवेश लिया और मुख्य विषय भौतिकी को चुना.

एक समय था जब विज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़ने की सुविधा नहीं मिलने के कारण सी.वी. रमण ने सरकारी नौकरी का रुख किया था. उन्होंने भारत सरकार के वित्त विभाग की प्रतियोगिता परीक्षा में भाग लिया और वह प्रथम आए. इसके बाद उन्होंने कोलकाता में 1907 में असिस्टेंट अकाउटेंट जनरल की नौकरी की. हालांकि विज्ञान के प्रति उनका लगाव बना रहा और यहां वह इंडियन एशोसिएशन फार कल्टीवेशन आफ साइंस और कलकत्ता विश्वविद्यालय की प्रयोगशालाओं में शोध करते रहे.

1917 में सरकारी नौकरी से इस्‍तीफा देने के बाद वह कलकत्‍ता यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हो गए. उसी दौरान उन्‍होंने कलकत्‍ता में इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्‍टीवेशन ऑफ साइंस (आईएसीएस) में अपना शोध कार्य निरंतर जारी रखा. यहीं पर 28 फरवरी, 1928 को उन्‍होंने केएस कृष्‍णन समेत अन्‍य वैज्ञानिकों के साथ मिलकर रमन प्रभाव की खोज की.

सीवी रमन मशहूर वैज्ञानिक सुब्रमण्‍यन चंद्रशेखर के चाचा थे. 'चंद्रशेखर लिमिट' की खोज के लिए सुब्रमण्‍यन को 1983 में नोबेल पुरस्‍कार दिया गया. सीवी रमन का 82 साल की आयु में 1970 में निधन हो गया.

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