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This Article is From Dec 31, 2020

9 साल के बच्चे ने दुर्घटना में दोनों हाथ-पैर खोकर भी नहीं मानी हार, मुंह से खूबसूरत पेंटिंग-स्कैच बनाकर लोगों को कर रहा है प्रेरित

मधु की डिटर्मिनेशन और कड़ी मेहनत ने उन्हें उनकी जिन्दगी के सबसे कठिन समय का सामना करने में मदद की और दुर्घटना के छह महीने के भीतर ही उन्होंने पेंटिंग और स्कैच करना शुरू कर दिया और दूसरों के लिए प्रेरणा बन गए.

9 साल के बच्चे ने दुर्घटना में दोनों हाथ-पैर खोकर भी नहीं मानी हार, मुंह से खूबसूरत पेंटिंग-स्कैच बनाकर लोगों को कर रहा है प्रेरित
9 वर्षीय मधु कुमार मुंह से खूबसूरत पेंटिंग-स्कैच बनाकर लोगों को कर रहा है प्रेरित.
नई दिल्ली:

अक्सर कहा जाता है कि अगर इंसान में हिम्मत और कुछ करने की चाहत हो तो हर नामुमकिन काम भी मुमकिन हो सकता है. इसकी एक खूबसूरत मिसाल हैं तेलंगाना के मेदक जिले का 9 वर्षीय मासूम बच्चा. 9 वर्षीय मधु कुमार की कहानी काफी प्रेरित करने वाली है. दरअसल, इस नन्हे बच्चे ने एक दुर्घटना में अपने दोनों हाथ और पैर खो दिए थे, लेकिन हाथ और पैर ना होने के बावजूद भी मधु ने हार नहीं मानी वे अब अपने मुंह की मदद से काफी सुंदर पेंटिंग करते हैं. 

मधु की डिटर्मिनेशन और कड़ी मेहनत ने उन्हें उनकी जिन्दगी के सबसे कठिन समय का सामना करने में मदद की और दुर्घटना के छह महीने के भीतर ही उन्होंने पेंटिंग और स्कैच करना शुरू कर दिया और दूसरों के लिए प्रेरणा बन गए.

मधु कुमार ने समाचार एजेंसी ANI से बात करते हुए कहा, “मैं छठी क्लास में हूं और मैं खुश हूं कि मैंने पिछले साल दुर्घटना के बाद से स्कैच करना सीखा. मैंने उम्मीद खो दी थी और कई लोगों ने मेरी मदद की. अब मैं कई लोगों के लिए प्रेरणा बन गया हूं."

मधु के साथ यह दुर्घटना पिछले साल 15 सितंबर को हुई, जब वह अपने घर की छत पर खेल रहा था, जो मुनपल्ले मंडल के कामकोले गांव में स्थित है. एक लोहे की रौड बिजली लाइन के संपर्क में आई और मधु से टकरा गई, जिसके कारण मधु ने अपने हाथ और पैर खो दिए. 

मधु के पिता तुलजाराम ने कहा, ''मैं पंचर की दुकान चलाता हूं. मेरी पत्नी प्रमिला और मैं गहरे सदमे में थे, जब गांधी अस्पताल के डॉक्टरों ने मधु को बचाने के लिए हाथ- पैरों को काट दिया. जीवन ने हमारे लिए एक कठोर मोड़ लिया, हमारे तीन अन्य बच्चे भी हैं, जिनकी हमें देखभाल करनी होती है."

वहीं, एक कलाकार डॉ. समुद्राला हर्ष ने मधु को अपने मुंह से स्कैच बनाने की ट्रेनिंग देकर नई उम्मीद दी है. उन्होंने कहा, "मैंने उसे मुंह से पेंट करने की ट्रेनिंग दी है. मेरा मानना है कि उसने अपने हाथ-पैरों को खोया है, लेकिन कला के प्रति अपने जुनून को नहीं. आज, मधु कुमार इस पीढ़ी के अन्य लोगों के लिए एक प्रेरणा के स्रोत हैं."

बता दें कि मधु ने केवल छह महीने में पेंटिंग बनाने का यह तरीका सीखा है. मधु ने चिरंजीवी जैसी कई बड़ी हस्तियों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है.
 

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