सरकार ने वीआईपी कोटे के तहत कन्फर्म होने वाले रेल टिकटों पर तत्काल कोटे का ऊंचा किराया वसूलने के बहुचर्चित प्रस्ताव को सोच-विचार के बाद निरस्त कर दिया है.
मध्य प्रदेश के नीमच निवासी आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने बताया कि सरकार के एक शिकायत निवारण तंत्र द्वारा उन्हें ईमेल के जरिये भेजे जवाब में यह खुलासा हुआ है. गौड़ ने प्रधानमंत्री कार्यालय को 13 अक्टूबर को ज्ञापन भेजकर मांग की थी कि वीआईपी कोटे के तहत कन्फर्म होने वाले रेल टिकटों पर तत्काल कोटे का उंचा किराया वसूलने के लंबे समय से विचाराधीन प्रस्ताव को जल्द हरी झंडी दी जाये.
इस ज्ञापन पर केंद्रीयकृत जन शिकायत निवारण और निगरानी तंत्र (सीपीजीआरएएमएस) ने गौड़ को 19 दिसंबर को इस आशय का जवाब भेजा कि मुख्यालय या उच्च अधिकारी (एचओ) या वीआईपी कोटा के तहत कन्फर्म होने वाले रेल टिकटों पर सामान्य किराये के अलावा कोई अतिरिक्त शुल्क वसूलने के प्रस्ताव को विचार-विमर्श के बाद निरस्त कर दिया गया है.
आरटीआई कार्यकर्ता ने बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय को इस विषय में 11 फरवरी को पहली बार ज्ञापन भेजकर मांग की थी कि वीआईपी कोटे के तहत कन्फर्म होने वाले रेल टिकटों पर तत्काल कोटे का किराया वसूला जाये. इस पर सीपीजीआरएएमएस ने उन्हें 19 जुलाई को भेजे जवाब में कहा था कि मुख्यालय या उच्च अधिकारी (एचओ) या वीआईपी कोटा के तहत कन्फर्म होने वाले रेल टिकटों पर तत्काल कोटे की दर से किराया वसूलने के प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है. बहरहाल, सीपीजीआरएएमएस के ताजा जवाब से स्पष्ट है कि यह प्रस्ताव रद्द कर दिया गया है.
गौड़ ने कहा, 'वीआईपी कोटे के तहत रेल टिकटों को कन्फर्म किये जाने की मौजूदा व्यवस्था सरासर भेदभावपूर्ण है. आम लोग जब आपातकालीन परिस्थिति में तत्काल कोटे के तहत रेल टिकट बुक कराते हैं, तो उनसे सामान्य किराये से कहीं ज्यादा किराया वसूला जाता है, जबकि वीआईपी कोटे के तहत कन्फर्म रेल टिकटों पर सामान्य किराया ही वसूला जाता है. वीआईपी कोटे के तहत टिकट पक्का होने के बाद संबंधित यात्री से कोई अतिरिक्त शुल्क भी नहीं लिया जाता.'