लेनदेन शुल्क पर प्रतिबंध लगाने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के आदेश एवं डीजीसीए के परिपत्र के बाजवूद यह शुल्क वसूलने के मामले में शीर्ष उपभोक्ता आयोग ने स्पाइसजेट को दो लोगों को करीब 50,000 रुपये देने का आदेश दिया है. राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने विमानन कंपनी को आदेश दिया है कि वह राजस्थान निवासियों सुजाता चौधरी को 25,125 रुपये और संजय राहर को 25,125 रुपये दे.
राज्य आयोग ने विमानन कंपनी की याचिका खारिज कर दी थी जिसके खिलाफ कंपनी ने पुनरीक्षण याचिका दायर की थी जिसे खारिज करते हुए एनसीडीआरसी ने यह आदेश सुनाया. जिला उपभोक्ता फोरम ने कंपनी को आदेश दिया था कि वह दोनों यात्रियों को मुआवजा दे जिसके बाद उसने राज्य आयोग का दरवाजा खटखटाया था.
आयोग ने कहा कि दोनों निचले फोरमों ने कहा कि लेनदेन शुल्क लेकर याचिकाकर्ता (स्पाइसजेट) ने डीजीसीए द्वारा जारी निर्देशों का उल्लंघन किया है जिसके निर्देशों का पालन करना सभी विमानन कंपनियों के लिए अनिवार्य है.
दोनों यात्रियों ने दिल्ली से कोयंबटूर की टिकट बुक कराई थी. जब उन्हें टिकट मिली तो उन्हें पता चला कि विमानन कंपनी ने लेनदेन शुल्क के तौर पर उनसे कुल 125 रुपये लिए. डीजीसीए के 17 दिसंबर 2012 के आदेश के अनुसार विमानन कंपनी यह शुल्क वसूल नहीं कर सकतीं.