इंडियन होटल्स कंपनी लिमिटेड (आईएचसी) ने लंदन उच्च न्यायालय के उस फैसले पर नाखुशी जताई है कि होटल ताज महल पैलेस में 26/11 आतंकवादी हमले का एक पीड़ित होटल के खिलाफ ब्रिटेन की अदालत में मुआवजा के लिए मुकदमा दायर कर सकता है।
33 वर्षीय ब्रिटिश नागरिक विलियम पाइक ने मुआवजा के लिए होटल के खिलाफ याचिका दाखिल की है। 26 नवंबर 2008 को होटल में हुए आतंकवादी हमले से बचने की कोशिश में वह लकवाग्रस्त हो गया था। वह अब ह्वीलचेयर के सहारे जीवन यापन कर रहा है। पाइक एक विज्ञापन कॉपीराइटर है।
पाइक ने मांग की है कि उसकी याचिका की सुनवाई ब्रिटेन की अदालत में हो, जबकि होटल ताज महल पैलेस की मांग थी कि मामले की सुनवाई भारत में हो, क्योंकि घटना भारत में हुई थी।
होटल की मालिक कंपनी आईएचसी ने गुरुवार देर शाम को एक बयान जारी कर कहा, 'अदालत ने क्षेत्राधिकार पर फैसला मामले पर बिना विस्तार से विचार किए किया। यह सिर्फ प्रक्रियात्मक फैसला था।'
कंपनी ने कहा कि हमले के प्रभावितों को राहत देने के लिए ताज पब्लिक सर्विस वेलफेयर ट्रस्ट फंड की स्थापना की गई है। कंपनी ने कहा, 'विलियम पाइक भी ट्रस्ट के लाभार्थियों में शामिल है।'
लंदन की अदालत ने फैसला देते हुए कहा कि भारत में यह मामला 20 साल तक चल सकता है, जबकि ब्रिटेन में यह मामला बहुत जल्दी निपट सकता है।
हमले के वक्त पाइक और उसकी महिला मित्र उस होटल में थे। दोनों ने पहले खुद को शौचालय में छुपाया था। बाद में उन्होंने कमरे की खिड़की तोड़ी और पर्दे तथा बिछावन की चादर को बांध कर उसके सहारे खुद को यथासंभव नीचा करने की कोशिश की। ये कपड़े हालांकि उनका वजन बर्दाश्त नहीं कर पाए और पाइक 50 फुट नीचे गिर गया। इस घटना में उसकी रीढ़ की हड्डी टूट गई और वह लकवाग्रस्त हो गया।
पाइक ने अपनी याचिका में तर्क दिया है कि घटना से पहले होटल इसकी संभावना को लेकर सामान्य चेतावनी जारी कर पाने में असफल रहा।