बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स शुक्रवार को 26 अंक के नुकसान के साथ बंद हुआ। एक समय सेंसेक्स 200 अंक तक नीचे चला गया था, लेकिन बाद में उसमें सुधार हुआ और हानि सीमित रह गई। निवेशक अब मानसून की बारिश की कमी तथा ईसीबी द्वारा यूरो क्षेत्र के ऋण संकट से निपटने के उपायों की घोषणा न किए जाने से आगे की ओर देखने लगे हैं।
वैश्विक बाजार के रुख के अनुरूप सेंसेक्स शुरुआती कारोबार में 60 अंक की गिरावट के साथ खुला। बिकवाली का दबाव बढ़ने से सेंसेक्स अपने पिछले बंद स्तर की तुलना में 197.39 अंक के नुकसान के साथ 17,026.97 अंक पर आ गया। अंत में यह 26.43 अंक की गिरावट के साथ 17,197.93 अंक पर बंद हुआ।
इसी के अनुरूप नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 12.05 अंक या 0.23 प्रतिशत की गिरावट के साथ 5,215.70 अंक पर आ गया। कारोबार के दौरान इसने दिन का निचला स्तर 5,164.65 अंक भी छुआ।
इस तरह की खबरों के बाद कि इस साल मानसून 15 फीसदी तक कम रहेगा, तीन साल में पहले सूखे के संकेतों ने निवेशकों की चिंता बढ़ा दी।
हालांकि, यूरोपीय बाजारों में तेजी से यहां धारणा मजबूत हुई। विप्रो, एनटीपीसी, डॉ रेड्डीज लैब तथा ओएनजीसी के शेयरों में लिवाली से सेंसेक्स को सुधारने में मदद मिली।
इन्वेंचर ग्रोथ एंड सिक्योरिटीज के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक नागजी के रीता ने कहा, पिछले कुछ दिनों के दौरान राहत पैकेज को लेकर उम्मीद बढ़ी है, लेकिन इसका नतीजा उम्मीद के अनुरूप नहीं रहा है। भारतीय शेयर बाजार भारी नुकसान से खुलते हैं और बिकवाली का दबाव झेलते हैं। बाद में यह सुधार के साथ पूरे नुकसान की भरपाई कर लेते हैं।