भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय से कहा कि सहारा समूह की दो रियल एस्टेट कंपनियों ने निवेशकों को 24 हजार करोड़ रुपये लौटाने के तीन अदालती आदेशों की अवहेलना की।
सेबी ने कहा कि इन कंपनियों के प्रमोटर रहते हुए सुब्रत राय अवहेलना करने की जिम्मेदारी से मुक्त नहीं हो सकते हैं।
सेबी के वरिष्ठ वकील अरविंद दत्तार ने न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति जेएस खेहर की पीठ से कहा, "अदालत के तीन आदेशों की सोच समझ कर लगातार अवहेलना की गई।" उन्होंने कहा कि राय यह कह कर बच नहीं सकते हैं कि वह सिर्फ एक शेयरधारक हैं।
दत्तार ने अदालत से कहा कि सहारा समूह की दो कंपनियों-सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉर्प और सहारा हाउसिंग इंवेस्टमेंट कॉर्प-ने अदालत के 31 अगस्त 2012, पांच दिसंबर 2012 और 25 फरवरी के आदेश की अवहेलना की। इन आदेशों में कंपनियों को 24 हजार करोड़ रुपये सेबी के पास जमा करने के लिए कहा गया था, ताकि वह निवेशकों को इसे वापस कर सके।
अदालत दो सहारा रियल एस्टेट कंपनियों, राय सहित उनके निदेशकों, के विरुद्ध अदालत के पालन नहीं करने के लिए सेबी द्वारा दाखिल की गई अवमानना याचिका की सुनवाई कर रही है।
अदालत ने 31 अगस्त 2012 को सहारा समूह की दो कंपनियों को 15 फीसदी सालाना ब्याज के साथ निवेशकों को 24 हजार करोड़ रुपये वापस करने का आदेश दिया था।
पांच दिसंबर को आदेश को संशोधित करते हुए अदालत ने सेबी को 5,120 करोड़ रुपये स्वीकार करने का आदेश दिया, जिसे उसने पहले सहारा की कंपनियों से लेने से इनकार कर दिया था।
न्यायाधीश ने सहारा को अगले साल जनवरी के पहले सप्ताह में 10 हजार रुपये जमा करने और शेष राशि फरवरी में जमा करने का आदेश दिया था। 25 फरवरी को अदालत ने सहारा की कंपनियों के अधिक समय देने की मांग को खारिज कर दिया था।
सेक्योरिटीज अपीलीय न्यायाधिकरण ने 18 अक्टूबर 2011 को सहारा की देानों कंपनियों को निवेशकों के पैसे वापस करने का आदेश दिया था। सर्वोच्च न्यायालय इस मामले की सुनवाई छह अगस्त को करेगी।