नौकरीपेशा लोगों के लिए यह खबर आपके काम की है. पिछले दिनों इनकम टैक्स एपलाटे ट्रिब्यूनल की अहमदाबाद बेंच या यूं कहें कि आईटीएटी ने फैसला दिया कि नोटिस पीरियड पूरा ने करने पर कर्मी की सैलरी से जो हिस्सा कटता है उसे करयोग्य आय नहीं माना जा सकता.
एक अपील के जवाब में उन्होंने कहा कि केवल वही सैलरी करयोग्य है जो कर्मी ने प्राप्त की है. इसका अर्थ यह हुआ कि नौकरी से इस्तीफा देने के बाद नोटिस पीरियड के जिस हिस्से को वह सर्व नहीं करता है और इसके बदले में उसकी सैलरी से रकम कट जाती है, वह कटी हुई सैलरी टैक्सेबल नहीं मानी जा सकती. यानी इस कटी हुई रकम पर कर्मी पर इनकम टैक्स नहीं लगेगा.
ट्रिब्यूनल की रुलिंग पर अशोक माहेश्वरी एंड असोसिएट्स एलएलपी के डायरेक्टर (टैक्स एंड रेग्युलेटरी) संदीप सहगल ने कहा- यह महत्वूपर्ण व्यवस्था है. कई संस्थानों में जब कर्मी रिजाइन करता है तब कई बार होता है कि वह व्यक्ति नोटिस पीरियड जोकि हर जगह अलग अलग होता है, पूरा नहीं करता. यानी हो सकता है कि वह कहीं और जॉइन के लिए नोटिस पीरियड पूरा करने से पहले छोड़ देता है.
ऐसे में उसकी सैलरी से एक निश्चित अमाउंट काट लिया जाता है. उदाहरण के लिए यदि किसी ने 30 महीने की बजाय 20 दिनों तक ही नोटिस पीरियड सर्व किया है तब उसे 20 दिन की सैलरी मिलती है. इनकम टैक्स अथॉरिटी हालांकि पूरे महीने की सैलरी पर टैक्स काटती हैं. चाहे वह नियोक्ता द्वारा कर्मी को चुकाया गया हो या नहीं. ऐसे में ट्रिब्यूनल का यह फैसला महत्वपूर्ण हो जाता है.