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क्या आप भी बुढ़ापे के लिए बचत नहीं कर पाते? पैसों की कमी नहीं, ये है असली वजह

आप यदि रिटायरमेंट के लिए कुछ ज्यादा पैसे नहीं बचा पा रहे हैं तो बता दें कि ऐसा करने वाले आप अकेले नहीं हैं। एक नए अध्ययन से पता चला है कि बड़ी संख्या में लोग बुढ़ापे के लिए बचाने से परहेज कर रहे हैं, क्योंकि वे अपनी मौत के बारे में सोच कर डरते हैं।
NDTV Profit हिंदीReported By Ians
NDTV Profit हिंदी04:19 AM IST, 29 Mar 2016NDTV Profit हिंदी
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आप यदि रिटायरमेंट के लिए कुछ ज्यादा पैसे नहीं बचा पा रहे हैं तो बता दें कि ऐसा करने वाले आप अकेले नहीं हैं। एक नए अध्ययन से पता चला है कि बड़ी संख्या में लोग बुढ़ापे के लिए बचाने से परहेज कर रहे हैं, क्योंकि वे अपनी मौत के बारे में सोच कर डरते हैं।

अध्ययन के परिणाम से पता चलता है कि बहुत कम लोग ऐसे हैं, जो वार्षिक वृत्ति (एन्यूइटीज) में निवेश करना चाहते हैं। एन्यूइटीज ऐसी व्यवस्था है जो सेवानिवृत्ति के बाद नियमित आय की गारंटी देती है।

एन्यूइटीज में रुचि नहीं दिखाने का कारण यह है कि डरे हुए लोग सोचते हैं कि उसमें जितना निवेश करना है उसकी तुलना में उन्हें कितने समय तक जिंदा रहना है।

उपभोक्ता मनोविज्ञान से जुड़ी ऑनलाइन पत्रिका 'कंज्यूमर साइकोलॉजी' में इस अध्ययन के निष्कर्ष प्रकाशित हुए हैं। इसमें साबित किया गया है कि मौत के डर से लोग इसका फैसला लेने से परहेज करते हैं कि रिटायरमेंट के दौरान खर्च के लिए अपनी बचत का प्रबंध किस तरह करें।

इस अध्ययन के लेखकों में शामिल अमेरिका के बोस्टन कॉलेज ऑफ मेशाच्यूसेट्स की प्रोफेसर लिंडा सालिबरी कहती हैं, 'हमारा लक्ष्य यह समझना था कि हम लोग किस तरह से एन्यूइटीज वाले उत्पादों से परहेज को खत्म करने में मदद सकते हैं।'

इस अध्ययन रपट में यह भी कहा गया है कि रिटायर लोग मरने के डर से एन्यूइटीज में ही नहीं संपत्ति की योजना बनाने, जीवन बीमा में निवेश या वसीयत से भी परहेज कर सकते हैं।

अध्ययन के लिए दो समूह बनाए गए, जिसमें 65 साल के लोग थे। एक समूह से पूछा गया कि क्या वे अपनी बचत व्यक्तिगत सेवानिवृत्ति खाते (आईआरए) में रखने को इच्छुक हैं? जबकि दूसरे समूह से पूछा गया कि क्या वे एन्यूइटीज में निवेश करना चाहेंगे?

उनका जवाब लेने के बाद दोनों समूह के प्रतिभागियों से वे क्या सोचते हैं इस बारे में बात की गई। शोधकर्ताओं ने पाया कि एन्यूइटीज वाले समूह के 40 फीसदी लोगों ने मौत वाले विचार रखे, जबकि आईआरए समूह में ऐसे लोगों की संख्या मात्र एक फीसद थी।

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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