उपभोक्ता मामलों का विभाग (डीओसीए) जल्द ही एक मजबूत रूपरेखा तैयार करेगा, ताकि रेस्तरां और होटलों द्वारा लगाए जाने वाले सर्विस चार्ज की जांच की जा सके. ऐसा इसलिए क्योंकि मनमाना सर्विस चार्ज डेली बेसिस पर उपभोक्ताओं को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करता है. विभाग ने गुरुवार को रेस्तरां एसोसिएशनों और उपभोक्ता संगठनों के साथ होटल और रेस्टोरेंट में सर्विस चार्ज लगाने को लेकर बैठक की. बैठक की अध्यक्षता डीओसीए के सचिव रोहित कुमार सिंह कर रहे थे.
शिकायतों के संबंध में चर्चा की गई
'बैठक के संबंध में जारी आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि बैठक में नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (NRAI) और फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (FHRAI) और उपभोक्ता संगठनों सहित कई प्रमुख रेस्तरां संघों ने भाग लिया. बैठक के दौरान उपभोक्ताओं द्वारा डीओसीए की राष्ट्रीय कंज्युमर हेल्पलाइन पर सर्विस चार्ज से संबंधित दर्ज किए शिकायतों के संबंध में चर्चा की गई. इसके अलावा, सर्विस चार्ज से संबंधित निष्पक्ष व्यापार प्रथाओं पर दिशानिर्देशों का भी उल्लेख किया गया.
बैठक के दौरान रेस्तरां संघों ने पाया कि जब मेनू पर सर्विस चार्ज लिख रहता है, तो उपभोक्ता भुगतान करने के लिए अपनी मर्जी से तैयार होते हैं. सर्विस चार्ज का उपयोग रेस्तरां/होटल की ओर से कर्मचारियों और श्रमिकों को भुगतान करने के लिए किया जाता है. लेकिन उपभोक्ता को परोसे जाने वाले अनुभव या भोजन के लिए शुल्क नहीं लिया जाता है. इसका कोई चार्ज नहीं है.
सर्विस चार्ज लगाना पूरी तरह से मनमाना
उपभोक्ता संगठनों ने पाया कि सर्विस चार्ज लगाना पूरी तरह से मनमाना है और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत एक अनुचित है. साथ ही ये प्रतिबंधात्मक व्यापार प्रथा का गठन करता है. ऐसे में बैठक में इस तरह के शुल्क की वैधता पर सवाल उठाते हुए, इस बात पर प्रकाश डाला गया कि चूंकि रेस्तरां/होटल पर उनके भोजन की कीमतें (जिसमें सेवा शुल्क के नाम पर अतिरिक्त शुल्क शामिल है) करने पर कोई रोक नहीं है, ये उपभोक्ताओं के अधिकारों के लिए हानिकारक है.
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