भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने देश में शरीया के सिद्धांतों पर चलने बैंकिंग व्यवस्था शुरू करने के प्रस्ताव पर आगे कोई कार्रवाई नहीं करने का निर्णय लिया है. आरबीआई ने सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत पूछे गये एक सवाल के जवाब में यह जानकारी दी है. रिजर्व बैंक ने कहा है कि सभी लोगों के सामने बैंकिंग एवं वित्तीय सेवाओं के समान अवसर पर विचार किये जाने के बाद यह निर्णय लिया गया है.
यह भी पढ़ें: RBI के पूर्व गवर्नर बिमल जालान बोले- बैंकों का पुनर्पूंजीकरण सकारात्मक कदम, पहले उठाना चाहिए था
आरबीआई ने बताया कि रिजर्व बैंक और भारत सरकार ने देश में इस्लामिक बैंकिंग की शुरुआत का परीक्षण किया है. सबके लिए बैंकिंग एवं वित्तीय सेवाओं के समान अवसर उपलब्ध कराने पर विचार किये जाने के बाद निर्णय लिया गया है कि देश में इस्लामिक बैंकिंग शुरू करने के प्रस्ताव पर आगे कोई कदम नहीं उठाया जाएगा. इस्लामिक या शरिया बैंकिंग ऐसी वित्तीय व्यवस्था को कहते हैं जिसमें ब्याज का प्रावधान नहीं होता है. इस्लामिक नियमों के तहत ब्याज का निषेध किया गया है.
यह भी पढ़ें: आरबीआई को था 2000 और 200 रुपये के नोट जारी करने का हक?
उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन की अध्यक्षता वाली एक समिति ने 2008 में देश में ब्याज-रहित बैंकिंग के मुद्दे पर गहराई से विचार करने की जरूरत पर जोर दिया था. सरकार ने रिजर्व बैंक को कहा था कि वह देश में इस्लामिक बैंकिंग शुरू करने की दिशा में उठाये गये कदमों की विस्तृत जानकारी देने को कहा था.
VIDEO: RBI के आंकड़ों के बाद छिड़ी बहस
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)