रिजर्व बैंक (आरबीआई) इस बुधवार को अपनी मुख्य नीतिगत ब्याज दर वर्तमान स्तर पर ही बनाए रख सकता है तथा उसका ध्यान महंगाई नियंत्रण पर केंद्रित रहने की संभावना है. विशेषज्ञों के अनुसार, आर्थिक वृद्धि में लगातार पांच तिमाहियों की गिरावट के बाद सितंबर में समाप्त तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर में सुधार होने से रिजर्व बैंक पर दर में कटौती का दबाव कम हुआ है. वैसे उद्योग जगत की मांग है कि ब्याज दर में कटौती की जाए ताकि क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज द्वारा देश की रेटिंग बढ़ाने से बाजार में जगे उत्साह का लाभ उठाया जा सके.
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आरबीआई गवर्नर ऊर्जित पटेल की अध्यक्षता में रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति द्वैमासिक बैठक पांच और छह दिसंबर को होगी. बैठक के नतीजों को छह दिसंबर को घोषित किया जाएगा. यह चालू वित्त वर्ष की पांचवीं बैठक होगी. केंद्रीय बैंक ने अगस्त में रेपो दर 0.25 प्रतिशत कम कर छह प्रतिशत कर दी थी. यह पिछले छह साल का सबसे निचला स्तर है. रेपो वह दर है जिसपर आरबीआई बैंकों को उनकी तात्कालिक आवश्यकता के लिए नकदी उपलब्ध कराता है.
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रेपो बढ़ाने से बैंकों के धन की लागत बढ़ जाती है और इसका उनके कर्ज की दर पर असर पड़ता है. लेकिन समिति ने अक्तूबर में समीक्षा बैठक में रेपो दर को छह प्रतिशत पर बनाए रखा और अर्थव्यवस्था में लगातार नरमी को देखते हुए चालू वित्त वर्ष की आर्थिक वृद्धि के अपने पहले के अनुमान को कम कर 6.7 प्रतिशत कर दिया था.