रेलवे ने टिकट रद्द करने के शुल्क को दोगुना कर दिया है जबकि रिफंड विकल्प को ट्रेन के रवाना होने के निर्धारित समय से चार घंटे पहले तक ही हासिल किया जा सकता है। ये नियम आज से लागू हो गए। इसके जरिये रेलवे का लक्ष्य एजेंटों पर अंकुश लगाना है।
अब शुल्क हुआ दोगुना
नए रिफंड नियमों के अनुसार, रेलवे ने टिकट रद्द करने के शुल्क को दोगुना कर दिया है ताकि सही यात्रियों को कन्फर्म टिकट मिल सके। रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ट्रेन के रवाना होने के बाद कोई रिफंड नहीं होगा और संशोधित रिफंड नियमों के अनुसार, लोगों को ट्रेन की रवानगी के निर्धारित समय से चार घंटे पहले रिफंड लेना होगा। अधिकारी ने बताया कि संशोधित रिफंड नियम आज से लागू हो गए।
रिफंड हासिल करने के लिए भी टाइम तय
अधिकारी ने कहा, नियमों को टिकट एजेंटों को हतोत्साहित करने के लिए संशोधित किया गया है, जो टिकटों की कालाबाजारी में लगे हुए हैं। जहां द्वितीय श्रेणी के कन्फर्म टिकट के ट्रेन की रवानगी के निर्धारित समय से 48 घंटे पहले रद्द करने के शुल्क को 30 रुपये से बढ़ाकर 60 रुपये कर दिया गया है, वहीं थर्ड-एसी टिकट के लिए यह राशि 90 रुपये से बढ़ाकर 180 रुपये कर दी गई है। प्रतीक्षा सूची और रिजर्वेशन अगेंस्ट कैंसिलेशन टिकटों के लिए रिफंड हासिल करने के ट्रेन की रवानगी की निर्धारित अवधि से आधा घंटा पहले उसे रद्द कराना होगा और उसके बाद कोई रिफंड नहीं मिलेगा।
ये है नया शुल्क
रेलवे की अधिसूचना के अनुसार द्वितीय शयनयान श्रेणी के लिए कैंसिलेशन शुल्क को 60 रुपये से बढ़ाकर 120 रुपये कर दिया गया है जबकि सेकेंड एसी के लिए इस शुल्क को 100 रुपये से बढ़ाकर 200 रुपये कर दिया गया है। इससे पहले, ट्रेन की रवानगी के निर्धारित समय से 48 घंटे और 6 घंटे पहले टिकट को रद्द कराने का शुल्क टिकट का 25 फीसदी था। अब यह शुल्क ट्रेन के निर्धारित रवानगी से 48 घंटे और 12 घंटे पहले के लिए टिकट का 25 फीसदी होगा।
ट्रेन के रवाना होने के निर्धारित समय से छह घंटे पहले और ट्रेन के वास्तव में रवाना होने से दो घंटे बाद तक टिकट रद्द कराने का शुल्क 50 फीसदी था। हालांकि, संशोधित नियमों के अनुसार ट्रेन की रवानगी के 12 घंटे और चार घंटे पहले के बीच का रद्द करने का शुल्क टिकट का 50 फीसदी होगा।
रेलवे ने कुछ अनारक्षित टिकट काउन्टरों को भी आरक्षित टिकटों के रिफंड में सक्षम बनाने की अनुमति देने का फैसला किया है।