देश में पेट्रोल की खपत जुलाई में बढ़ी, जबकि मानसून की बारिश के कारण डीजल की मांग में गिरावट आई है. उद्योग के शुरुआती आंकड़ों से यह जानकारी मिली. आंकड़ों के अनुसार, देश में सबसे ज्यादा खपत वाले ईंधन डीजल की मांग जुलाई में सालाना आधार पर 4.3 प्रतिशत गिरकर 61.5 लाख टन रह गई. जुलाई के पहले पखवाड़े में खपत में 15 प्रतिशत की भारी गिरावट आई, लेकिन दूसरे पखवाड़े में इसमें तेजी दिखी.
मानसून के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में भारी बारिश की वजह से लोगों ने अपनी यात्रा की योजना को टाल दिया. इसके अलावा कृषि क्षेत्र में भी ईंधन की मांग घट गई, जिससे डीजल की कुल मांग प्रभावित हुई है.
पेट्रोल की बिक्री जुलाई में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 3.8 प्रतिशत बढ़कर 27.6 लाख टन हो गई. जुलाई के पहले पखवाड़े में खपत में 10.5 प्रतिशत की गिरावट आई थी लेकिन बाद में इसमें तेजी आई. हालांकि, बिक्री मासिक आधार पर 4.6 प्रतिशत कम रही.
भारत में विनिर्माण और सेवा क्षेत्र, दोनों आगे बढ़ रहे हैं. इस वजह से मार्च के दूसरे पखवाड़े में पेट्रोल और डीजल की मांग बढ़ी. आंकड़ों के अनुसार, जुलाई में पेट्रोल की खपत कोविड से प्रभावित महीने जुलाई 2021 की तुलना में 16.6 प्रतिशत अधिक रही.
इसी तरह समीक्षाधीन माह में डीजल की खपत जुलाई 2021 की तुलना में 12.8 प्रतिशत बढ़ी है. यह जुलाई, 2019 की तुलना में लगभग स्थिर है.
हवाई यात्राओं में लगातार वृद्धि के साथ विमान ईंधन (एटीएफ) की मांग जुलाई में पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 10.3 प्रतिशत बढ़कर 603,500 टन हो गई. यह आंकड़ा जुलाई 2021 की तुलना में दोगुने से ज्यादा है.
मासिक आधार पर विमान ईंधन की बिक्री में करीब 1.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. जून 2023 में एटीएफ की बिक्री 594,100 टन थी. उद्योग के अधिकारियों ने बताया कि पिछले कुछ महीनों में देश में औद्योगिक गतिविधियां बढ़ने के कारण ईंधन की मांग तेज हुई है.
रसोई गैस यानी एलपीजी की बिक्री जुलाई में वार्षिक आधार पर 1.7 प्रतिशत घटकर 24.6 लाख टन रह गई है. रसोई गैस की खपत जुलाई 2021 की तुलना में चार प्रतिशत अधिक रही.