वास्तविक लागत से कम दाम पर पेट्रोलियम पदार्थों की ब्रिकी से सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों को पिछले पांच साल में 5.63 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, जिसमें से आधे से अधिक नुकसान की भरपाई सरकार ने नकद सहायता देकर की।
विशेषज्ञों का कहना है कि डीजल के दाम बाजार के हवाले कर दिए जाने के बाद अब स्थिति में सुधार आने की उम्मीद है। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने बताया कि सरकार ने निजी क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों को नुकसान की भरपाई के लिए कोई मुआवजा या सब्सिडी नहीं दी।
सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, लागत से कम दाम पर पेट्रोलियम पदार्थों की ब्रिकी से तेल कंपनियों को पांच साल में 5.63 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
इसकी भरपाई के लिए सरकार ने 3.21 लाख करोड़ रुपये की नकद सहायता दी, तो तेल उत्खनन एवं उत्पादन कंपनियों ने कच्चे तेल की सस्ते दाम पर बिक्री कर 2.27 लाख करोड़ रुपये का योगदान किया। मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों ने पांच वर्ष की अवधि में इस समूचे नुकसान में से 15,660 करोड़ रुपये ही खुद वहन किए।
तेल विपणन कंपनियों ने 2009-10 में कुल नुकसान का 12 प्रतिशत वहन किया, जबकि 2010-11 में यह 9 प्रतिशत, 2011-12 में 0.3 प्रतिशत, 2012-13 और 2013-14 में एक-एक प्रतिशत रहा।
विशेषज्ञों का कहना है कि अब जबकि सरकार ने 18 अक्टूबर को डीजल को नियंत्रण मुक्त कर बाजार पर छोड़ दिया, ऐसे में इस वित्त वर्ष के दौरान स्थिति में सुधार की उम्मीद है। अब केवल घरेलू रसोई गैस और राशन में बिकने वाले किरासन तेल पर ही सब्सिडी की भरपाई करनी होगी।