नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की पूर्व सीईओ चित्रा रामकृष्ण (Chitra Ramkrishna) द्वारा हिमालय के एक अज्ञात योगी से राय लेने के मामले ने अब तूल पकड़ लिया है. इस मुद्दे की बाजार नियामक सेबी तो जांच कर ही रहा है, लेकिन बाहर भी इसको लेकर तूतू-मैंमैं शुरू हो गई है. ऐसा ही नजारा सोशल मीडिया पर एनएसई निदेशक मंडल के पूर्व सदस्य टीवी मोहनदास पई और बायोकारी की कार्यकारी अध्यक्ष किरण मजूमदार शॉ के बीच जुबानी जंग देखने को मिली. दरअसल सेबी की पूछताछ में एनएसई की पूर्व सीईओ चित्रा ने खुलासा किया था कि वो शेयर बाजार के मामलों में हिमालय के एक अज्ञात योगी से राय मशविरा करती थीं. इतनी संवेदनशील जानकारियां किसी और को दिए जाने को लेकर यह मामला गरमा गया है.
किरण मजूमदार शॉ ने हैरत जताते हुए कहा कि क्या एक्सचेंज में गड़बड़ियों पर अंकुश लगाने की कोई व्यवस्था नहीं थी. सेबी के आदेश से जुड़े एक लेख का लिंक साझा करते हुए मजूमदार-शॉ ने ट्विटर पर लिखा, ‘एक योगी देश के बड़े शेयर बाजार को कठपुतली की तरह चलाता रहा. वैश्विक स्तर के शेयर बाजार कहे जाने वाले एनएसई में संचालन व्यवस्था की खामियों को देखकर आहत हूं.क्या वहां गड़बड़ियों पर अंकुश लगाने की कोई व्यवस्था नहीं थी?' शॉ के ट्वीट के जवाब में पई ने 14 फरवरी को लिखा कि किसी को झूठ फैलाना बंद कर देना चाहिए और कोई योगी एक्सचेंज नहीं चलाता.
उन्होंने लिखा, ‘कोई योगी एनएसई को नहीं चलाता. झूठ फैलाना बंद करें. क्या आपको वाकई में लगता है कि दुनिया के बड़े शेयर बाजारों में से एक हाई टेक्नोलॉजी से युक्त एनएसई को कोई संदिग्ध योगी चला सकता है? आप उन सभी महान कर्मचारियों का नुकसान कर रही हैं जिन्होंने 24 घंटे एनएसई इंडिया में काम किया. पई इन्फोसिस के साथ-साथ एनएसई के निदेशक मंडल के भी सदस्य रहे हैं.
मजूमदार शॉ ने 15 फरवरी को पई के ट्वीट का जवाब दिया. उन्होंने कहा, तो क्या हमें सेबी रिपोर्ट में कबाड़ में फेंक देना चाहिए. एनएसई के कर्मचारी निर्दोष थे. लेकिन अगर वास्तव में चित्रा रामकृष्ण ने किसी बाहरी व्यक्ति के साथ साठगांठ की है तो यह खतरनाक रूप से चौंकाने वाली बात है. मजूमदार शॉ ने कुछ अन्य को भी ट्विटर पर जवाब दिए.रामकृष्ण और ‘आध्यात्मिक गुरु' का मामला सेबी के एनएसई के पूर्व प्रमुख और अन्य के खिलाफ आदेश का हिस्सा है.
यह मामला आनंद सुब्रमण्यम को मुख्य रणनीतिक सलाहकार के रूप में नियुक्ति और उनका पदनाम बदलकर चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर और एमडी के सलाहकार किये जाने में कंपनी संचालन में खामियों से जुड़ा है.सेबी के आदेश के अनुसार, अप्रैल, 2013 से दिसंबर, 2016 तक एनएसई की एमडी एवं सीईओ पद पर रहीं रामकृष्ण कथित तौर पर हिमालय में रहने वाले इस योगी को 'शिरोमणि' कहकर बुलाती रही हैं. इसके बारे में एनएसई के पूर्व प्रमुख का दावा है कि वह हिमालय की पहाड़ियों में रहते हैं और 20 साल से व्यक्तिगत और पेशेवर मामले में सलाह देते रहे हैं.