भारत सरकार के कुछ कर प्रस्तावों को लेकर चिंता के बीच उच्चतम न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एसएच कपाड़िया ने गुरवार को कहा कि नियमों की स्पष्ट व्याख्या मुख्य समस्या है और इस मामले में विभिन्न प्रावधानों में स्पष्ट भाषा का प्रयोग होना जरूरी है।
कपाड़िया ने यह भी कहा कि बात जब कर कानूनों की आती है तो इस मामले में नियमों और मानकों के बीच स्पष्ट भेद होना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘आज प्रमुख समस्या कानून और नियमों की व्याख्या की है। एक कर अधिकारी राजस्व वसूली लक्ष्य पूरा करने के लिए नियम की व्याख्या इस रूप में कर सकता है जो उसके लिए उपयुक्त हो।’’ कपाड़िया ने कहा, ‘‘जब तक विभिन्न प्रावधानों की भाषा पूरी तरह स्पष्ट नहीं होती, यह बेहद कठिन होगा। वकीलों, एकाउंटेंट तथा कर सलाहकारों समेत सभी को इस मुद्दे पर काम करने की जरूरत है।’’
वोडाफोन समेत कर से जुड़े कई मामलों में निर्णय देने वाले कपाड़िया ने कहा कि कर अधिकारियों के साथ-साथ अदालतों को नियमों की विवेचना सही तरीके से करने की जरूरत है।
इंटरनेशनल फिसकल एसोसिएशन (आईएफए) द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय कर सम्मेलन में उन्होंने ये बातें कही।
कपाड़िया के अनुसार नियमों का पालन होना चाहिए, लेकिन मानक कई बार अस्पष्ट होते हैं जिससे उनका अलग-अलग मतलब निकाल लिए जाने की गुंजाइश रहती है।
कपाड़िया ने कंपनियों द्वारा ट्रांसफर प्राइसिंग का भी जिक्र किया। हाल ही में निवेशकों ने सामान्य कर अपवंचन-रोधी नियमों (गार) को लेकर चिंता जताई थी। कपाड़िया ने कहा कि ट्रांसफर प्राइसिंग के मामले में विशेषज्ञों और पेशेवरों को मदद देनी चाहिए।