भारत सरकार का बीमा संशोधन बिल लटकता हुआ नज़र आ रहा है। इस मुद्दे पर आम सहमति के लिए आज विपक्षी दलों की बुलाई गई बैठक बेनतीजा रही है। हांलाकि दो दिन बाद फिर बैठक करने पर सहमति बनी है।
सूत्र बता रहे हैं कि बीमा बिल को सरकार इसी सत्र में पास कराने पर अड़ गई है। सरकार का कहना है कि विपक्ष चाहे तो इस पर बहस कर ले और अगर बिल से राज़ी ना हो तो ख़िलाफ़ में वोट कर दे।
सरकार कांग्रेस को अपने ही बिल को हराने की चुनौती दे रही है। सरकार के सामने संयुक्त सत्र बुलाने का विकल्प खुला है। संयुक्त सत्र बुलाने के लिए सिर्फ़ तीन दिन का नोटिस देना होता है और संसद का यह सत्र 14 अगस्त तक है।
इसके पहले इंश्योरेंस कंपनियों में 49 फ़ीसदी विदेशी निवेश के प्रस्ताव पर आम सहमति बनाने के लिए संसदीय कार्यमंत्री वेंकैया नायडू द्वारा विपक्षी दलों की बैठक बुलाई थी। एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल के मुताबिक इस बैठक में कोई अंतिम फ़ैसला नहीं हो पाया।
दरअसल 10 दलों ने बिल को सेलेक्ट कमेटी को भेजने का नोटिस दिया है। जिसके बाद सरकार ने आज यह बैठक बुलाई थी।
लोकसभा में तो इस बिल को पास कराने में सरकार को कोई दिक़्क़त नहीं आएगी, लेकिन अगर विपक्षी दलों का साथ नहीं मिला तो राज्य सभा में बिल को पास कराना सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी।
फ़िलहाल देश में इंश्योरेंस कंपनियों में 26 फ़ीसदी विदेशी हिस्सेदारी की इजाज़त है जिसे सरकार 49 फ़ीसदी तक ले जाना चाहती है।
इधर, कांग्रेस इस बात को उठा रही है कि जिस बिल का विपक्ष में रहते हुए बीजेपी ने विरोध किया था आज उसी बिल को पास कराने की कोशिश कर रही है।
सूत्रों के हवाले से खबर है कि विपक्षी दलों में बिल के विरोध को लेकर एकता नहीं है। कुछ दल बिल के समर्थन में हैं। एनसीपी और बीजेडी ने बिल का समर्थन करने का फैसला किया है।