आर्थिक नरमी और महंगे कर्ज से बदहाल भारतीय उद्योग चाहता है कि रिजर्व बैंक आगामी मौद्रिक नीति में ब्याज दरों में कटौती करे।
फरवरी में थोक और खुदरा मुद्रास्फीति में गिरावट के बाद उद्योग की रेपो दरों में कटौती की मांग बढ़ गई है।
सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि खुदरा मुद्रास्फीति में गिरावट शुरू हो गई है इसलिए रेपो दर में आधा प्रतिशत की कटौती की उम्मीद है।’’ रिजर्व बैंक 1 अप्रैल को 2014-15 की सालाना मौद्रिक नीति पेश करने वाला है।
इसी तरह का विचार व्यक्त करते हुए एसोचैम के अध्यक्ष राणा कपूर ने केंद्रीय बैंक से अपील की कि थोक एवं खुदरा मुद्रास्फीति में गिरावट के रुझान को देखते हुए रेपो दर में कम से कम आधा प्रतिशत की कटौती की जाए ताकि वृद्धि बढ़ाई जा सके और कारोबारी रझान बेहतर किया जा सके।
थोकमूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति, फरवरी में 4.68 प्रतिशत रही जबकि खुदरा मुद्रास्फीति 25 महीने के न्यूनतम स्तर 8.1 प्रतिशत पर रही।
पीएचडी चैंबर के कार्यकारी निदेशक सौरभ सान्याल ने कहा, ‘‘एमएसएमई उद्योग को उम्मीद है कि रिजर्व बैंक गवर्नर मौजूदा समस्या पर ध्यान देंगे और रेपो दर में चौथाई प्रतिशत की कटौती करेंगे।’ हालांकि फिक्की द्वारा किए गए अर्थशास्त्रियों के सर्वेक्षण की रपट में कहा गया कि रिजर्व बैंक 1 अप्रैल को मौद्रिक नीति की घोषणा में मुख्य दरें अपरिवर्तित रखेगा।
रिजर्व बैंक ने जनवरी में मौद्रिक नीति की तीसरी तिमाही समीक्षा में रेपो दर चौथाई प्रतिशत बढ़ाकर आठ प्रतिशत कर दी थी।