सरकार ने आज चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि का अनुमान पूर्वघोषित 7.3 फीसदी से घटाकर 5.7-5.9 फीसदी कर दिया।
संसद में पेश मध्यावधि आर्थिक समीक्षा में कहा गया कि उभरते हालात के मद्देनजर अर्थव्यवस्था के लिए वित्त वर्ष 2012-13 में सकल घरेलू उत्पाद के करीब 5.7-5.9 फीसदी के बराबर रहने की संभावना है। इसमें कहा गया कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में छह फीसदी की वृद्धि दर प्राप्त करनी होगी ताकि वृद्धि का तय लक्ष्य हासिल किया जा सके। अप्रैल से सितंबर 2012-13 के दौरान आर्थिक वृद्धि 5.4 फीसदी रही।
समीक्षा के मुताबिक, 5.7-5.9 फीसदी की वृद्धि प्राप्त करने के लिए राजकोषीय और मौद्रिक दोनों नीतियों को निवेशकों का भरोसा बरकरार रखने में मदद करनी होगी। सरकार को भी आपूर्ति पक्ष की दिक्कतों को दूर करना होगा।
घरेलू और वैश्विक दोनों वजहों से 2011-12 के दौरान आर्थिक वृद्धि दर घटकर नौ साल के न्यूनतम स्तर 6.5 फीसदी पर पहुंच गई थी।
मुद्रास्फीति के संबंध में इसमें कहा गया कि चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही से महंगाई दर में कमी शुरू होगी।
मध्यावधि समीक्षा के मुताबिक, मार्च 2013 के अंत तक मुद्रास्फीति घटकर 6.8-7 फीसदी रह जाने की उम्मीद है। राजकोषीय घाटे के संबंध में इसमें कहा गया कि सरकार की कोशिश इसे सकल घरेलू उत्पाद के 5.3 फीसदी तक सीमित रखने की होगी जबकि बजट में 5.1 फीसदी का लक्ष्य तय किया गया था।
मध्यावधि समीक्षा के मुताबिक, यह मानने की वजह है कि नरमी का दौर खत्म हो गया है और अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में ज्यादा वृद्धि की ओर अग्रसर है।
इसमें कहा गया कि कृषि में सुधार की उम्मीद है, क्योंकि मिट्टी में ज्यादा नमी और सिंचित क्षेत्र में गेहूं और चावल की फसल अधिक होने से रबी फसल अच्छी होने की संभावना है।
समीक्षा में कहा गया कि विशेषतौर पर व्यापार, परिवहन, संचार और वित्तीय सेवा से जुड़ी सेवाएं जो आमतौर पर वास्तविक क्षेत्रों के प्रदर्शन से जुड़ी हैं, उनमें अच्छी वृद्धि होगी।
संसद को सूचित किया गया कि 29 अक्तूबर को घोषित राजकोषीय पुनर्गठन के खाके से कारोबारी संभावनाओं और घरेलू व वैश्विक निवेशकों का रुझान बेहतर हुआ है।
व्यापार घाटे के बारे में इस रपट में कह गया कि मौजूदा वर्ष का घाटा पिछले साल के मुकाबले अधिक नहीं होगा। रपट में कहा गया इसलिए यह उम्मीद करना तर्कसंगत होगा कि चालू खाता के घाटे का अनुपात 2011-12 से कम होगा।