
पिछले 16 साल में विभिन्न वर्गों के लोगों द्वारा घोषित अपनी आय सहित प्रत्यक्ष करों से जुड़े ढेरों आंकड़े सरकार द्वारा सार्वजनिक किए जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "यह पारदर्शिता की ओर एक बड़ा कदम है... और उम्मीद है कि इससे शोधकर्ताओं और विश्लेषकों को काफी मदद मिलेगी..."
Our Govt. has taken the landmark decision of publishing the income tax data. It is a big step towards transparency & informed policy making
— Narendra Modi (@narendramodi) April 29, 2016
Am sure this data will be used by researchers & analysts & lead to enhanced insights for policy making on taxation. https://t.co/0RqEwjA6qU
— Narendra Modi (@narendramodi) April 29, 2016
देश के इतिहास में पहली बार इस तरह जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2011 में कुल व्यक्तिगत करदाताओं की संख्या चार करोड़ थी, जो 2014 में बढ़कर पांच करोड़ से कुछ अधिक हो गई है।
वर्ष 2014-15 के दौरान महाराष्ट्र ने सबसे ज़्यादा 2.77 लाख करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष कर जमा किया (जिसमें कॉरपोरेट टैक्स और व्यक्तिगत आयकर शामिल है)। दूसरे स्थान पर 91,274 करोड़ रुपये के साथ राजधानी दिल्ली रही, और इसके बाद सूची में कर्नाटक, तमिलनाडु और गुजरात का स्थान है।
दरअसल, सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज़ (सीबीडीटी) ने देश में करदाताओं की कुल संख्या, विभिन्न श्रेणियों के करदताओं द्वारा आयकर रिटर्न में घोषित आय तथा पैनधारकों की संख्या के बारे में आंकड़े अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित किए हैं।
विभाग ने कहा कि इन आंकड़ों को प्रकाशित करने का मकसद आयकर से जुड़े आंकड़ों के विभाग के कर्मियों तथा शिक्षाविदों द्वारा विश्लेषण के लिए उपयोग को लेकर प्रोत्साहित करना है। 'टाइम सीरीज़' के तहत वित्तवर्ष 2000-01 से 2014-15 के बीच विभाग द्वारा वास्तविक प्रत्यक्ष कर संग्रह, जीडीपी के अनुपात के रूप में प्रत्यक्ष कर, सरकार के लिए राजस्व संग्रह की लागत तथा प्रभावी आयकरदाता तथा आईटी मामलों का निपटान आदि शामिल हैं।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "पहली बार 84 पृष्ठ का आंकड़ा जारी किया गया है और उसे सार्वजनिक किया गया है... कई अर्थशास्त्री तथा शोधकर्ता इस प्रकार के आंकड़े जारी करने की मांग कर रहे थे और इसीलिए इसे विभाग के वेब पोर्टल पर अपलोड किया गया है..."
(इनपुट भाषा से भी)
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