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पूरी उम्मीद है कि जीएसटी (GST) 1 जुलाई से लागू कर दिया जाएगा : वित्त मंत्री अरुण जेटली

केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को उम्मीद जताई कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) इस साल पहली जुलाई से लागू किया जा सकेगा. उन्होंने साथ ही यह भी उम्मीद जताई कि संसद के मौजूदा बजट सत्र में इससे संबंधित विधेयक पारित हो जाएंगे.
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NDTV Profit हिंदी03:08 PM IST, 22 Mar 2017NDTV Profit हिंदी
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केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को उम्मीद जताई कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) इस साल पहली जुलाई से लागू किया जा सकेगा. उन्होंने साथ ही यह भी उम्मीद जताई कि संसद के मौजूदा बजट सत्र में इससे संबंधित विधेयक पारित हो जाएंगे.

जेटली ने यहां भारत के नियंत्रण एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की ओर से आयोजित राष्ट्रमंडल देशों के महापरीक्षकों के 23वें सम्मेलन के दौरान कहा, "जीएसटी भारत में सबसे बड़ा सुधार है. उम्मीद है यह एक जुलाई से लागू हो जाएगा. उम्मीद है कि इससे संबंधित विधेयकों को संसद से मंजूरी मिल जाएगी."

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से जुड़े चार विधेयकों को सोमवार को मंजूरी दे दी गई थी. अब इसे जल्दी ही संसद में पेश किया जाना है. मंत्रिमंडल ने मुआवजा कानून, केंद्रीय-जीएसटी, एकीकृत-जीएसटी और केंद्रशासित क्षेत्र-जीएसटी को मंजूरी दी है. जीएसटी से जुड़े ये विधेयक इस हफ्ते संसद में धन विधेयक के तौर पर पेश किए जाएंगे. सरकार ने नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था एक जुलाई से लागू करने का लक्ष्य रखा है.

जीएसटी परिषद ने अपनी पिछली दो बैठकों में राज्य जीएसटी (एस-जीएसटी) के साथ चारों विधेयकों को मंजूरी दे दी थी. एस-जीएसटी को प्रत्येक राज्य विधानसभा में पारित किया जाना है जबकि अन्य चार कानून को संसद को मंजूरी देनी है. मंजूरी के बाद वस्तु एवं सेवा कर कानूनी रूप से वैध हो जाएगा.

केंद्रीय वित्त मंत्री ने यह भी कहा, "जीएसटी के तहत कर चोरी मुश्किल होगी और भारतीय अर्थव्यवस्था का विस्तार होगा." जेटली ने यह भी कहा कि भारत एक खुली अर्थव्यवस्था है और यहां करीब 90 फीसदी निवेश स्वत: होते हैं. उन्होंने कहा, "यहां सुधार का विरोध न के बराबर है. देश में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) में सुधार महत्वपूर्ण है और हम दुनिया की सर्वाधिक खुली अर्थव्यवस्थाओं में से हैं." वित्त मंत्री ने हालांकि इस पर निराशा जताई कि जहां सार्वजनिक निवेश तथा एफडीआई बहुत अधिक है, वहीं निजी क्षेत्र में निवेश अब भी बहुत पीछे है.

(विभिन्न एजेंसियों से)
 

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