यह ख़बर 03 मई, 2012 को प्रकाशित हुई थी

बेधड़क निर्यात किए जा सकेंगे चीनी, प्याज

खास बातें

  • चीनी के निर्यात को पूरी तरह खोलने का निर्णय किया ताकि मिल मालिक किसानों के 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के गन्ने बकाये का भुगतान कर सके।
नई दिल्ली:

कृषि निर्यात को बढ़ावा देने के मकसद से सरकार ने चीनी के निर्यात को पूरी तरह खोलने का निर्णय किया ताकि मिल मालिक किसानों के 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के गन्ने बकाये का भुगतान कर सके।

सरकार ने चीनी निर्यात से मात्रात्मक प्रतिबंध हटा दिया है। इसके साथ ही सरकार ने प्याज के न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) की व्यवस्था को भी समाप्त कर दिया है।

सरकार ने प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएमईएसी) के चेयरमैन सी रंगराजन की अध्यक्षता में एक समिति के गठन का भी फैसला किया है, जो सरकारी गोदामों में पड़े अधिशेष खाद्यान्न की देख-रेख के बारे में नीति बनाएगी। सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई एक उच्चस्तरीय बैठक में यह निर्णय किया गया।

कृषि मंत्री शरद पवार ने कृषि जिंसों चीनी, कपास और डेयरी उत्पादों की निर्यात नीति का विरोध करते हुए प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था, जिसके मद्देनजर यह बैठक बुलाई गई।

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बैठक में वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी, कृषि मंत्री शरद पवार, वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा तथा खाद्य मंत्री केवी थॉमस भी शामिल हुए। एक सूत्र ने बताया कि चीनी का निर्यात मुक्त सामान्य लाइसेंस (ओजीएल) के तहत किया जाएगा, पहले आओ पहले भेजो के आधार पर नहीं।