नई दिल्ली : व्यक्तिगत खुदरा कर्ज की मांग तेजी से बढ़ी है. यह बात खुदरा ऋण वितरण के आंकड़ों से पता चलती है. एक अध्ययन के अनुसार, मार्च, 2021 से मार्च, 2022 में इसमें उल्लेखनीय 42 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. यह कुल मिलाकर आर्थिक और कारोबारी धारणा में सुधार को बताता है. आंकड़ा विश्लेषण और प्रौद्योगिकी कंपनी एक्विफैक्स और कर्ज वितरण से जुड़ी एंड्रोमेडा ने एक संयुक्त अध्ययन में कहा कि सक्रिय व्यक्तिगत कर्ज की संख्या मार्च, 2021 के चार करोड़ से बढ़कर मार्च, 2022 में छह करोड़ पर पहुंच गई. मार्च, 2020 में यह 3.5 करोड़ था.
अध्ययन के अनुसार, कुल व्यक्तिगत कर्ज का आकार मार्च, 2021 में छह लाख करोड़ रुपये था जो मार्च, 2022 में बढ़कर आठ लाख करोड़ रुपये हो गया. मार्च, 2020 में यह पांच लाख करोड़ रुपये था.
एक्विफैक्स क्रेडिट इन्फॉर्मेशन सर्विसेज प्राइवेट लि. के प्रबंध निदेशक और क्षेत्रीय प्रमुख (भारत और एमईए) के एम नानैया ने कहा, ‘‘व्यक्तिगत कर्ज में वृद्धि देश में खपत में पुनरुद्धार का एक मजबूत संकेत है.''
अध्ययन के अनुसार, कुल बकाया खुदरा कर्ज मार्च, 2022 में बढ़कर 89 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो मार्च, 2021 में 80 लाख करोड़ रुपये तथा मार्च, 2020 में 71 लाख करोड़ रुपये था.
बकाया व्यक्तिगत खुदरा कर्ज में मार्च, 2020 से मार्च, 2022 के दौरान सर्वाधिक 32 प्रतिशत की वृद्धि निजी क्षेत्र के बैंकों ने दर्ज की. वहीं सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की हिस्सेदारी 21 प्रतिशत रही.
एंड्रोमेडा सेल्स एंड डिस्ट्रिब्यूशन प्राइवेट लिमिटेड के सह-मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) आर कपूर ने कहा, ‘‘यदि व्यक्तिगत ऋणों की वृद्धि की प्रवृत्ति बनी रहती है, तो हम यह मान सकते हैं कि आने वाले वर्षों में अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन अच्छा रहेगा. हालांकि, ब्याज दर में वृद्धि की प्रवृत्ति को ध्यान में रखना होगा. इसका कारण भारतीय रिजर्व बैंक के चार महीनों में नीतिगत दर में तीन बार की गयी वृद्धि है.''
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)