शोध और रिसर्च एजेंसी क्रिसिल ने बुधवार को एक रिपोर्ट में कहा कि भारत की आर्थिक विकास दर 2013-14 में 6.7 फीसदी रह सकती है।
रिसर्च और रेटिंग एजेंसी ने कहा कि सामान्य मानसून के कारण कृषि में तेजी, ब्याज दर में गिरावट और अधिक सरकारी खर्च के कारण अर्थव्यवस्था का विकास होगा।
क्रिसिल के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी रूपा कुडवा ने रिपोर्ट में कहा, "2013-14 में भारत के सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) विकास को निजी क्षेत्र खपत में तेजी से सहयोग मिलेगा और इसमें कृषि का तेज विकास, अधिक सरकारी खर्च और कम ब्याज दरों से भी सहयोग मिलेगा।"
रिपोर्ट के मुताबिक महंगाई दर 1 अप्रैल से शुरू होने वाले कारोबार साल में घटकर सात फीसदी पर आ जाएगी, जिसके मौजूदा कारोबारी साल में 7.7 फीसदी रहने का अनुमान है।
क्रिसिल ने अनुमान जताया कि अगले कारोबार साल में महंगाई दर कम होने के कारण भारतीय रिजर्व बैंक ब्याज दरों में 75 से 100 आधार अंकों की कटौती कर सकती है। इससे खुदरा ब्याज दर भी घटेगी और ब्याज दर से प्रभावित होने वाले क्षेत्रों में तेजी आएगी।
रिपोर्ट के मुताबिक सरकार के कल्याणकारी खर्च में वृद्धि, ब्याज दरों में गिरावट, महंगाई घटने और कृषि उपज बढ़ने से परिवारों की खर्च करने की क्षमता बढ़ेगी और इसका लाभ उपभोक्ता टिकाऊ वस्तु, होटल तथा रेस्तरां और वित्तीय सेवा क्षेत्र को मिलेगा।
रिपोर्ट में आगे कहा गया, "वैश्विक अर्थव्यवस्था में थोड़ा सुधार आने के कारण विदेशी मांग बढ़ने से देश का निर्यात बढ़ सकता है, खासकर सूचना प्रौद्योगिकी और सूचना प्रौद्योगिकी आधारित क्षेत्रों में। इसलिए हमारी उम्मीद है कि अगले कारोबारी साल में सेवा क्षेत्र का आठ फीसदी की गति से विकास होगा।"
रिपोर्ट के मुताबिक 2013-14 में कृषि विकास दर 3.5 फीसदी रह सकती है।