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निजी क्षेत्र के कर्मचारियों व उपभोक्ताओं की दिवाली रह सकती है फीकी, जानें क्यों...

हर साल दीपावली पर तोहफों की बारिश से खुश होने वाले कॉरपोरेट कंपनियों के कर्मचारियों और उपभोक्ताओं की दिवाली इस बार फीकी रहने की आशंका है।
NDTV Profit हिंदीReported by Bhasha
NDTV Profit हिंदी06:44 PM IST, 04 Nov 2015NDTV Profit हिंदी
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हर साल दीपावली पर तोहफों की बारिश से खुश होने वाले कॉरपोरेट कंपनियों के कर्मचारियों और उपभोक्ताओं की दिवाली इस बार फीकी रहने की आशंका है। अन्तरराष्ट्रीय बाजार में रुपये की कीमत में गिरावट, कम मांग और वैश्विक बाजारों में उथल-पुथल के परिणामस्वरूप कंपनियों ने इस बार प्रकाश पर्व में उपहार बांटने के बजट में 20 प्रतिशत तक कटौती की है।

उद्योग मण्डल 'एसोचैम' के एक ताजा सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है। इसके मुताबिक आर्थिक विकास में अनिश्चितता भरे उतार-चढ़ाव, कम बारिश के कारण आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोत्तरी, अन्तरराष्ट्रीय बाजार में रुपये की कीमत में गिरावट, चीजों की कमजोर मांग, पारिश्रमिक में धीमी वृद्धि और वैश्विक बाजारों में खलबली की वजह से कंपनियों को दिवाली में उपहार देने के बजट में 20 फीसदी तक कटौती करनी पड़ी है।

एसोचैम के राष्ट्रीय महासचिव डी.एस. रावत ने बुधवार को लखनऊ में एक बयान में बताया कि उद्योग मंडल ने लखनऊ, अहमदाबाद, दिल्ली-एनसीआर, हैदराबाद, इंदौर, कोलकाता, बेंगलुरु, चेन्नई, मुंबई तथा पुणे सहित 10 प्रमुख शहरों में ऑटोमोबाइल, बैंकिंग, वित्तीय सेवाएं, बीमा, ऊर्जा, सूचना प्रौद्योगिकी, फार्मास्यूटिकल, रियल एस्टेट समेत विभिन्न क्षेत्रों की कंपनियों के 500 प्रतिनिधियों तथा एक हजार कर्मचारियों से बातचीत के आधार पर यह सर्वेक्षण रिपोर्ट तैयार की है।

उन्होंने कहा कि पिछले साल केंद्र में नई सरकार के गठन के बाद आर्थिक विकास में तेजी की उम्मीद की वजह से कंपनियों ने दीपावली में उपहार देने का बजट 10 से 15 प्रतिशत तक बढ़ा दिया था, लेकिन सरकार आर्थिक विकास का पहिया तेजी से घुमाने के लिए संघर्ष कर रही है। यही वजह है कि व्यवसाय और उद्योगों के लिए हालात बहुत आशाजनक नहीं हैं।

रावत ने कहा कि कम बारिश होने के कारण दालों, खाद्य तेलों तथा अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि की वजह से उपभोक्ता भी हाथ रोककर खर्च कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि सर्वेक्षण के दायरे में लिए गए करीब 60 प्रतिशत लोगों का कहना है कि उन्होंने इस बार दीपावली पर दिल खोलकर खर्च करने का इरादा छोड़ दिया है, क्योंकि उन्हें डर है कि उनकी नियोजक कंपनियां लगभग साल भर कारोबार ठंडा होने की वजह से उन्हें मिलने वाले बोनस में कटौती कर सकती हैं।

रावत ने बताया कि ज्यादातर लोगों ने कहा कि वे त्योहार पर शाहखर्ची करने के बजाय भविष्य की आपातस्थितियों के लिए धन बचाकर रखना चाहेंगे।

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