जान-बूझकर कर्ज न चुकाने वालों पर लगाम कसने के लिए बैंकों ने ऐसे बकायेदारों की गारंटी देने वालों के नाम, फोटो और अन्य ब्योरे अखबारों में छापने और बैंक की शाखाओं तथा सामुदायिक केंद्रों के सूचना पटों पर प्रदर्शित करने का फैसला किया है।
ज्यादातर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने जान-बूझकर कर्ज न चुकानों वालों की तस्वीरें अखबार में उक्त इलाके के आसपास और अन्य जगहों पर प्रदर्शित करना शुरू कर दिया है। इस मामले में सरकारी बैंक आगे हैं। अब यही प्रक्रिया कर्जदार के गारंटरों के लिए अपनाई जा रही है, ताकि कर्जदारों पर बकाया चुकाने का दबाव बनाया जा सके।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ऐसी पहल करने के मामले में सबसे आगे हैं और अब तक एसबीआई, यूको बैंक, इलाहाबाद बैंक, इंडियन बैंक और इंडियन ओवरसीज बैंक ने कर्ज न चुकाने वालों के ऐसे ब्योरे प्रकाशित कराए हैं। एक वरिष्ठ बैंक अधिकारी ने कहा कि निजी बैंकों ने अब तक जो सूचनाएं प्रकाशित हैं, उनमें चूककर्ता और उनके गारंटरों के नाम नहीं हैं, लेकिन उनको भी इसी प्रक्रिया में लाने पर विचार किया जा रहा है।
इलाहाबाद ने बैंक ने दो गारंटरों की तस्वीर प्रकाशित की हैं, जिसमें ऋण के लिए गिरवी रखी गई दो संपत्तियों की बिक्री की सूचना है। चूककर्ता एक कॉरपोरेट इकाई है और उसने 365 करोड़ से अधिक का कर्ज नहीं चुकाया है। बैंकों को उम्मीद है चूककर्ताओं के खिलाफ ऐसी पहल दूसरे लोग ऋण भुगतान में जान-बूझकर चूक करने से बचेंगे। आरबीआई के नियमों के मुताबिक जान-बूझकर चूक करने वालों ऐसे कर्जदार हैं, जो पर्याप्त नकदी और अच्छे निवलमूल्य के बावजूद बकाये का भुगतान नहीं करते हैं।