देश में एयरबैग उद्योग का आकार वित्त वर्ष 2026-27 तक 7,000 करोड़ रुपये पर पहुंच जाएगा. वाहनों में यात्रियों की सुरक्षा के लिए एयरबैग लगाए जाते हैं. अभी इस उद्योग का आकार 2,500 करोड़ रुपये का है. रेटिंग एजेंसी इक्रा ने कहा कि एयरबैग वाहन उद्योग का सबसे तेजी से बढ़ता खंड है. इक्रा ने बयान में कहा कि नियामकीय तथा स्वैच्छिक आधार पर प्रति वाहन एयरबैग की संख्या में वृद्धि से इस उद्योग को रफ्तार मिलेगी.
इक्रा के उपाध्यक्ष और क्षेत्र प्रमुख विनुता एस ने कहा, ‘‘अभी प्रत्येक बिकने वाली कार के लिए औसतन तीन एयरबैग की जरूरत होती है. एक अक्टूबर, 2023 से छह एयरबैग प्रति कार का नियम लागू होगा. इससे एयरबैग की मांग में इजाफा होगा.''
इक्रा ने अनुसार, उद्योग सालाना 25-30 प्रतिशत की वृद्धि के साथ वित्त वर्ष 2026-27 तक 6,000-7,000 करोड़ रुपये पर पहुंचेगा. अभी उद्योग का आकार 2,400-2,500 करोड़ रुपये का है.
रेटिंग एजेंसी ने बताया कि पहले जुलाई, 2019 से प्रति कार केवल एक एयरबैग (ड्राइवर एयरबैग) अनिवार्य था. यह एक जनवरी, 2022 से श्रेणी एम1 वाहनों (अधिकतम आठ यात्रियों वाले वाहन) के लिए बढ़कर दो एयरबैग हो गया.
विनुता ने कहा कि एयरबैग की अनिवार्यता बढ़ने के साथ मूल उपकरण विनिर्माताओं (ओईएम) की लागत भी बढ़ेगी, क्योंकि इसके लिए उन्हें कारों में बदलाव करने होंगे और अतिरिक्त सेंसर लगाने होंगे.