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भारतीय फिल्मों के कलेक्शन डेडपूल और वुलवारिन जैसे क्यों नहीं ?

भारतीय फिल्मों की कम कमाई और डेडपूल एंड वुल्वरिन और केजीएफ चैप्टर 2 की कमाई के इस अंतर के बारे में जानिए एक्सपर्ट्स की राय.

भारतीय फिल्मों के कलेक्शन डेडपूल और वुलवारिन जैसे क्यों नहीं ?
बॉलीवुड फिल्में क्यों नहीं कर पा रही ऐसी कमाल की कलेक्शन
नई दिल्ली:

26 जुलाई को रिलीज हुई हॉलीवुड फिल्म 'डेडपूल एंड वुल्वारिन'  ने पहले वीकेंड पर दुनियाभर में 3650 करोड़ की कमाई की है पर क्या वजह है कि भारतीय फिल्में दुनियाभर में रिलीज होने के बावजूद इस कलेक्शन के आसपास भी नहीं फटक पाती हैं. अगर देश में बनी फिल्मों की बात करें तो अब तक वीकएंड पर सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्मों में सबसे ऊपर नाम आता है ‘केजीएफ़ चैप्टर 2' का. इस फिल्म ने अपने ओपनिंग वीकेंड पर 442 करोड़ कमाए लेकिन  डेडपूल ऐंड वुल्वरीन  के पहले वीकएंड की दुनियाभर की कमाई रही 3,650 करोड़. मतलब केजीएफ चैप्टर 2 की कमाई  डेडपूल एंड वुल्वरीन की कमाई का करीब 12.5  प्रतिशत है.

भारतीय फिल्मों की कम कमाई और डेडपूल एंड वुल्वरिन और केजीएफ चैप्टर 2 की कमाई के इस अंतर के बारे  में जयपुर से डिस्ट्रीब्यूटर और एग्जिबीटर अभिमन्यु बंसल  कहना है, "इसके पीछे मैं तीन प्रमुख कारण मानता हूं एक तो ये की हॉलीवुड फिल्में यूनिवर्सल भाषा इंगलिश में बनती हैं और इंगलिश का प्रचलन दुनिया में सबसे ज्यादा है, हिन्दी से बहुत ज्यादा है और हमारी प्रादेशिक भाषाओं से बहुत ज्यादा है. हमारी भारतीय फिल्में जो लोग बाहर देखते हैं वो ज्यादातर लोग एनआरआई होते हैं या जिनका भारत से रिश्ता होता है वो लोग देखते हैं. बहुत ही कम मात्रा है जो विदेशी देखते हैं तो भाषा में सबसे बड़ा कारण मानता हूं. दूसरा कारण ये की हमारी फिल्में ज्यादातर हमारी संस्कृति, पौराणिक कथाएं या हेरिटेज से जुड़ी होती हैं और कोई यूनिवर्सल सब्जेक्ट नहीं होता है जैसे हॉलीवुड में होता है और तीसरी बात जो होती है बजट की होती है. हॉलीवुड फिल्मों के बजट बहुत बड़े होते हैं भारतीय फिल्मों के मुकाबले या करीब 40 गुना, 60 गुना और कई बार 100 गुना ज्यादा होते हैं तो उस बजट और प्रोडक्शन वैल्यू  लिए अभी हमें बहुत समय तय करना बाकी है".

भारतीय ब्लॉक बस्टर फिल्मों की कम कमाई के पीछे एक बड़ा कारण देश में सिनेमाघरों की कमी भी है. आंकड़ों के मुताबिक देश में सन् 2016 में करीब 9,481 सिनेमाघर थे और 2023 में इसकी संख्या बढ़कर 9742 हो गई. जबकि अमेरिका और चीन जैसे देशों में ये आंकड़ा बहुत ज्यादा है. परसेप्ट पिक्चर्स के बिजनेस हेड यूसुफ़ शेख का कहना है, "हम जिस देश में रह रहे हैं दुर्भाग्यवश हम यहां दर्शकों की संख्या का ठीक से इस्तेमाल नहीं कर रहे. देश में कुल 9000 स्क्रीन्स हैं अगर हम इसकी तुलना चीन से करें जहां करीब 90000 स्क्रीन्स हैं या अमरीका से करें तो वहां करीब 30000 स्क्रीन्स से ज्यादा हैं और पूरी दुनिया में वो ऑडियंस किसी के पास नहीं है जो हमारे पास है लेकिन हमारे पास सिनेमा ही नहीं हैं जहां फिल्में लगाई जायें. 35000 का कलेक्शन क्या बल्कि वो दिन दूर नहीं है जब हम 5000, 7000 करोड़ का कलेक्शन कर सकें लेकिन दुर्भाग्यवश हमने ऐसे प्लान  नहीं किया है की देश के कोने-कोने में सिनेमाघर हों, हिंदुस्तान को 30000 सिनेमा ( स्क्रीन्स) की जरूरत है. कल्पना कीजिए अगर 30000 स्क्रीन्स पर फिल्म लगेगी जैसे अमरीका में, चीन में डेडपूल लगी है तो सारी दुनिया में लगने के बाद 3650 करोड़ का आँकड़ा आता  है. भारतीय फिल्मों की देश से बाहर बहुत डिमांड है और अगर हम 30000 से 40000 स्क्रीन्स बढ़ा पाएं तो आपको ये आंकड़े नज़र आएंगे 30000 करोड़ या 40000 करोड़ और इतनी कमाई करना नामुमकिन नहीं है."

भारतीय फिल्मों में कुल कमाई के मामले में अब तक सबसे ऊपर नाम है आमिर खान की फिल्म दंगल का इसका लाइफटाइम कलेक्शन है 2,023.81 करोड़ यानी डेडपूल ऐंड वुल्वरीन जैसी कमाई हासिल करने के लिए भारतीय फिल्मों को बेहतर भी होना पड़ेगा और  सिनेमाघर भी बढ़ाने पड़ेंगे.

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