Ustad Bismillah Khan's 102nd Birth Anniversary: शहनाई को पहचान दिलाने वाले जादूगर उस्ताद बिस्मिल्लाह खान
नई दिल्ली:
Ustad Bismillah Khan ने उस दौर में शहनाई को संगीत परिदृश्य में स्थापित करने का काम किया जब सारंगी का दबदबा हुआ करता था. बिस्मिल्लाह खान ने 1937 में कलकत्ता ऑल इंडिया म्यूजिक कॉन्फ्रेंस में शहनाई का डंका बजा दिया. उस्ताद बिस्मिल्लाह खान का जन्म बिहार के डुमरांव में 21 मार्च, 1916 को हुआ था. बिस्मिल्लाह खान पैगंबर बख्श खान के दूसरे नंबर के बेटे थे. जब उका जन्म हुआ तो उनके दादा रसूल बख्श खान एकदम बोले थे 'बिस्मिल्लाह' और इस तरह अमीरूद्दीन, Ustad Bismillah Khan के तौर पर दुनिया भर में पहचाना गया. उनकी संगीत की शिक्षा मामू की देख-रेख में हुई, मामू वाराणसी के विश्वनाथ मंदिर से जुड़े हुए थे. लेकिन शहनाई को देखने का नजरिया उस्ताद बिस्मिल्लाह खान ने ही बदला और इसे एक पहचान भी दिलाई.
Ustad Bismillah Khan: मंदिर से कमाते थे, इस हीरोइन की फिल्मों पर सब उड़ा देते थे उस्ताद बिस्मिल्लाह खान
उस्ताद बिस्मिल्लाह को बनारस की गलियों से बहुत प्यार था, और वहां उनकी जान बसती थी. लेखक यतींद्र मिश्र ने अपनी किताब 'सुर की बारादरी' में बिस्मिल्लाह खान के जरिये ही शहनाई को स्थापित करने की उनकी दास्तान सुनाई है. बिस्मिल्लाह खान ने बताया है कि सारंगी के दौर में शहनाई को पहचान दिलाना कोई आसान काम नहीं था.
उस्ताद बिस्मिल्लाह खान की शहनाई से खिंचे चले आए थे लंगोट वाले बाबा, हाथ में डंडा लिए बोले...
"लखनऊ रेडियो में हमने अपना पहला प्रोग्राम रिकॉर्ड किया. आज भी याद है, वह 16 और 18 अप्रैल सन 1938 की बात है, उस जमाने में बनारस से लखनऊ आने-जाने का किराया तीन रु. बारह आने था. हमने बीस मिनट झाला बजाया होगा कि लोग सन्न रह गए कि अमां मियां; ये तो शहनाई बड़ी गजब चीज है. जिससे कुल भरा है- इसमें गत है, लय का भी काम है, तराना बजा सकते हैं. फिर धीरे-धीरे हमें काम मिलना शुरू हुआ. महीने में तीन बार हम लखनऊ रिकॉर्डिंग के लिए जाते थे. और वह समय सारंगी के आतंक का था. सारंगी के कलाकार शहनाई को बहुत हीन निगाह से देखते थे. मगर जब एक बार हमने राग-रागिनियां निकालनी शुरू कर दी थीं, तब सारंगी के लोगों ने भी आखिर अपनी राय बदली. हमारे मामू (उस्ताद) कहा करते थे कि बस सुर कंट्रोल करो. हर राग का सुर इतना पक्का कर लो कि वह टस से मस न होने पाए. उस समय दिल्ली रेडियो में निजामी साहब थे. उन्होंने सुना, तो फौरन दिल्ली बुलवाया. बड़ी जहीन शख्सियत के मालिक थे. उन्होंने जब कहा कि राग बजाओ, तो हमने ललित शुरू किया. सुबह का वक्त रहा होगा. थोड़ी देर सुनते रहे चुपचाप; फिर बोले, "अरे भाई बड़े पक्के हो. कहां तालीम ली है." फिर वे बड़ी इज्जत से हमको रिकॉर्डिंग के लिए दिल्ली ले गए. फिर धीरे-धीरे सिलसिला चल निकला."
...और भी हैं बॉलीवुड से जुड़ी ढेरों ख़बरें...
Ustad Bismillah Khan: मंदिर से कमाते थे, इस हीरोइन की फिल्मों पर सब उड़ा देते थे उस्ताद बिस्मिल्लाह खान
उस्ताद बिस्मिल्लाह को बनारस की गलियों से बहुत प्यार था, और वहां उनकी जान बसती थी. लेखक यतींद्र मिश्र ने अपनी किताब 'सुर की बारादरी' में बिस्मिल्लाह खान के जरिये ही शहनाई को स्थापित करने की उनकी दास्तान सुनाई है. बिस्मिल्लाह खान ने बताया है कि सारंगी के दौर में शहनाई को पहचान दिलाना कोई आसान काम नहीं था.
उस्ताद बिस्मिल्लाह खान की शहनाई से खिंचे चले आए थे लंगोट वाले बाबा, हाथ में डंडा लिए बोले...
"लखनऊ रेडियो में हमने अपना पहला प्रोग्राम रिकॉर्ड किया. आज भी याद है, वह 16 और 18 अप्रैल सन 1938 की बात है, उस जमाने में बनारस से लखनऊ आने-जाने का किराया तीन रु. बारह आने था. हमने बीस मिनट झाला बजाया होगा कि लोग सन्न रह गए कि अमां मियां; ये तो शहनाई बड़ी गजब चीज है. जिससे कुल भरा है- इसमें गत है, लय का भी काम है, तराना बजा सकते हैं. फिर धीरे-धीरे हमें काम मिलना शुरू हुआ. महीने में तीन बार हम लखनऊ रिकॉर्डिंग के लिए जाते थे. और वह समय सारंगी के आतंक का था. सारंगी के कलाकार शहनाई को बहुत हीन निगाह से देखते थे. मगर जब एक बार हमने राग-रागिनियां निकालनी शुरू कर दी थीं, तब सारंगी के लोगों ने भी आखिर अपनी राय बदली. हमारे मामू (उस्ताद) कहा करते थे कि बस सुर कंट्रोल करो. हर राग का सुर इतना पक्का कर लो कि वह टस से मस न होने पाए. उस समय दिल्ली रेडियो में निजामी साहब थे. उन्होंने सुना, तो फौरन दिल्ली बुलवाया. बड़ी जहीन शख्सियत के मालिक थे. उन्होंने जब कहा कि राग बजाओ, तो हमने ललित शुरू किया. सुबह का वक्त रहा होगा. थोड़ी देर सुनते रहे चुपचाप; फिर बोले, "अरे भाई बड़े पक्के हो. कहां तालीम ली है." फिर वे बड़ी इज्जत से हमको रिकॉर्डिंग के लिए दिल्ली ले गए. फिर धीरे-धीरे सिलसिला चल निकला."
...और भी हैं बॉलीवुड से जुड़ी ढेरों ख़बरें...
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं