हॉरर फिल्मों की बात हो तो आज की जनरेशन शायद हॉलीवुड की हॉरर मूवीज की मिसाल दे सकती हैं. पर अगर आप 1980 या 1990 के दौर के बच्चे, बूढ़े या जवान हैं तो यकीनन आपकी जुबान पर कुछ ऐसे नाम आएंगे- दो गज जमीन के नीचे, बंद दरवाजा, तहखाना. फिल्में तो अनेक हो सकती हैं पर इन्हें बनाने वाले की बात पर सिर्फ एक नाम याद आएगा रामसे ब्रदर्स. फिल्मी दुनिया का वो खानदान जिसने बरसों बरस तक सिर्फ भूतिया फिल्में बना कर सिनेमा पर राज किया.
7 भाइयों ने मिलकर रचा डरावनी फिल्मों का संसार
रामसे ब्रदर्स उन सात भाइयों का परिवार था जिसने हॉरर मूवीज के दौर को बॉलीवुड में शुरू किया. इन्हीं सात भाइयों में से एक भाई थे तुलसी रामसे. जिनके बच्चे अब उनकी डरावनी रियासत के वारिस हैं. और उसे आगे भी बढ़ा रहे हैं. तुलसी रामसे ने अपने भाइयों के साथ मिलकर डरावनी फिल्मों का एक अनोखा संसार रचा. ये उस दौर की बात है जब अमिताभ बच्चन जैसे सितारे इंड्स्ट्री पर राज कर रहे थे. उनका रोमांस, एक्शन और एंग्री यंगमैन मिजाज पब्लिक की पहली पसंद था. प्यार भरे गीत और मारधाड़ के एक्शन सीक्वेंस वाली फिल्मों के बीच जब पर्दे पर तुलसी रामसे का भूतिया संसार उतरता था तब टिकट खिड़की पर दर्शकों की कतार भी टूट पड़ती थी.
रामसे की भूतिया फिल्मों का था एक खास दर्शक वर्ग
बेतरतीब सा डरावनापन लिए भूत, किरदारों के पीछे नाटकीय रूप से गढ़ा गया बैकग्राउंड, टिपिकल से साउंड इफेक्ट, रोमांस के नाम पर कुछ इरोटिक सीन्स. यही रामसे ब्रदर्स के भूतों की पहचान हुआ करती थी. पर ताज्जुब की बात ये है कि उस वक्त भूतों की ये दुनिया दर्शकों को इतनी पसंद थी कि समीक्षकों की कसौटी पर ये फिल्में भले ही खरी न उतरती हों, लेकिन इन फिल्मों का अपना ही एक खास दर्शक वर्ग था. तुलसी रामसे और उनके भाइयों ने इन्हीं फिल्मों की बदौलत 1970 से 1980 के दशक में खूब शोहरत हासिल की.
90 के दशक में जी हॉरर शो के जरिए घर-घर तक पहुंचा हॉरर
इसके बाद आया 1990 का दशक. तब तक फिल्मों ने मेकअप और टेक्नोलॉजी में थोड़ी तरक्की कर ली थी. टीवी घर घर तक पहुंच चुका था. यही सही समय था जब डर की दुनिया लोगों के घर पर हावी हो सकती थी. पर तुलसी रामसे और उनके भाइयों के सामने सबसे बड़ी मुश्किल थी उनकी फिल्मों में दिखाए जाने वाले कुछ ऐसे सीन्स जो छोटे पर्दे पर अलाऊ नहीं थे. बड़े पर्दे पर खान युग शुरू हो रहा था. वहां भी रामसे की भूतिया दुनिया की डिमांड कुछ कम हो चुकी थी. ऐसे में तुलसी रामसे को साथ मिला जी टीवी का. दोनों ने मिलकर जी हॉरर शो की रचना की. अपनी फिल्मों को बड़ी चतुराई से आधे घंटे के सीरियल में ढाला रामसे ब्रदर्स ने. दरअसल जी हॉरर शो की एक एक कहानी कई एपिसोड में खत्म होती थी. वो जिस तरह फिल्म बनाते थे उसी तर्ज पर हॉरर शो बनाते रहे. फर्क केवल इतना था कि टेक्नोलॉजी के बेहतरीन इस्तेमाल और कुछ सीन्स को हटा कर तुलसी रामसे ने अपनी ही हॉरर की दुनिया में कुछ बदलाव किए और हर घर में छा गए.
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