
साल 2008 में दिग्गज एक्टर राजेश खन्ना की एक फिल्म आई थी 'वफा: अ डेडली लव स्टोरी'. ये वो समय था जब राजेश खन्ना अपनी चमक खो चुके थे और पैसे कमाने के लिए उन्हें बी ग्रेड फिल्मों का सहारा लेना पड़ा था. ये फिल्म कोई कमाल नहीं दिखा पाई थी. लेकिन कुछ सालों बाद इस फिल्म की हीरोइन की वजह से ये चर्चा में आ गई. साल 2011 में फिल्म की लीड एक्ट्रेस लैला खान अपने परिवार के पांच सदस्यों के साथ गायब हो गईं. शुरुआत में ये गुमशुदगी का मामला लगा, लेकिन फिर पता चला कि ये सुनियोजित हत्या की खौफनाक कहानी थी.
2011 में लैला खान और उनके परिवार के पांच सदस्य बिना किसी सुराग के गायब हो गए. बाद में जांच से पता चला कि सभी छह लोगों की हत्या परिवार के एक सदस्य ने लंबे समय से चली आ रही नाराजगी के चलते बेरहमी से की थी. इस केस को लीड करने वाले पूर्व मुंबई क्राइम ब्रांच अधिकारी अंबादास पोटे ने हाल ही में क्राइम जर्नलिस्ट हुसैन ज़ैदी के साथ एक इंटरव्यू में हत्याओं से जुड़े भयानक डिटेल्स शेयर किए.
सौतेले पिता ने की थी हत्या
अंबादास पोटे के अनुसार, लैला की मां सेलिना की शादी उनके तीसरे पति परवेज टाक से हुई थी, जो परिवार के साथ ओशिवारा में रहते थे. टाक, जिन्हें एक अत्यधिक धार्मिक और नियंत्रणकारी व्यक्ति बताया जाता है. वह लैला के फिल्म उद्योग में करियर को नापसंद करते थे. उनकी असहमति, संपत्ति को लेकर विवाद और टाक की लैला को दुबई में काम करने की इच्छा, जिसे लैला ने अस्वीकार कर दिया था. इन सब की वजह से उनके बीच दुश्मनी और बढ़ गई.
हत्याओं को अंजाम देने के लिए टाक ने अपने एक साथी को परिवार के इगतपुरी फार्महाउस में चौकीदार के रूप में नियुक्त किया. टाक ने एक वेकेशन की आड़ में परिवार के साथ फार्महाउस की जाने योजना बनाई. जब परिवार वापस नहीं लौटा, तो सेलिना के पहले पति नादिर शाह ने गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई. जांचकर्ताओं ने परिवार के घर से मिले आधार कार्ड के जरिए टाक का पता लगाया और आखिरकार मुंबई और जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक संयुक्त अभियान में उसे कश्मीर में गिरफ्तार कर लिया.
हत्याओं वाली रात, परिवार ने कथित तौर पर बारबेक्यू किया और साथ में नाचते हुए एक बेफ़िक्र शाम का आनंद लिया. अपने कमरों में जाने के बाद टाक और उसके साथी ने रॉड और चाकुओं से जानलेवा हमला किया. लैला के भाई इमरान ने घायल होने के बावजूद बीच-बचाव करने और अपने परिवार की रक्षा करने की कोशिश की. पोटे ने बताया कि टाक ने यह सुनिश्चित किया कि परिवार का हर सदस्य मर जाए, बेहोश होने के बाद भी उन पर बार-बार वार करता रहा.
गड्ढे में दफनाई लाशें
हत्याओं के बाद, परिवार की एक कार को जम्मू ले जाकर छोड़ दिया गया. छह पीड़ितों को स्विमिंग पूल के लिए बने एक गड्ढे में दफना दिया गया. पहले तीन शवों को गद्दे और तकियों से ढककर रखा गया, उसके बाद बाकी तीन शवों को भी इसी तरह मिट्टी से ढककर बिछा दिया गया. जब पोटे और उनकी टीम वहां पहुंची तो बारिश के कारण कुछ मिट्टी धंस गई थी, जिससे खुदाई का काम और भी मुश्किल हो गया था. छह घंटे से ज्यादा की खुदाई में मानव अवशेष मिले, जिनकी पहचान बाद में फोरेंसिक विशेषज्ञों ने की.
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