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लड़की को दिखता था फ्यूचर, सपने में देखा बहन का मर्डर जो हो गया सच...157 मिनट में 100 डेज की वो खौफनाक कहानी

बॉलीवुड में आज से 34 साल पहले एक ऐसी साइकोलॉजिकल थ्रिलर फिल्म रिलीज हुई थी, जिसने दर्शकों के पसीने छुड़ा दिए थे. इस फिल्म को देखने के दौरान आप अपनी सीट से जरा भी हिल नहीं पाएंगे.

लड़की को दिखता था फ्यूचर, सपने में देखा बहन का मर्डर जो हो गया सच...157 मिनट में 100 डेज की वो खौफनाक कहानी
34 साल पहले रिलीज हुई थी ये फिल्म
नई दिल्ली:

बॉलीवुड में आज से 34 साल पहले एक ऐसी साइकोलॉजिकल थ्रिलर फिल्म रिलीज हुई थी, जिसने दर्शकों के पसीने छुड़ा दिए थे. इस फिल्म में माधुरी दीक्षित, जैकी श्रॉफ, जावेद जाफरी और मुन मुन सेन को अहम रोल में देखा गया था. साल 1991 में रिलीज हुई फिल्म 100 डेज तमिल फिल्म नूरवथु नाल (1984) का हिंदी रीमेक थी. इस फिल्म की कहानी में लड़की को भविष्य नजर आता है और उसने अपनी इसी शक्ति के चलते अपनी बहन का भविष्य में होने वाला मर्डर भी देख लिया था. वहीं, इसके कातिलों का कैसे पता चलता है यह फिल्म की सबसे थ्रिलिंग क्लाईमैक्स है.

क्या है फिल्म की कहानी?

बता दें, इस कहानी की ओरिजिनल फिल्म इटली में द साइकिक और सेवन नोट्स इन ब्लैक और अमेरिका में आईस ऑफ लौरा मार्श नाम से बनी थी. फिल्म 100 डेज की कहानी में माधुरी दीक्षित ने नौजवान लड़की देवी का रोल प्ले किया था. वहीं फिल्म में माधुरी दीक्षित देवी के रोल में अपनी बहन रमा (मुन मुन सेन) का भविष्य में होने वाले मर्डर को पहले ही देख लेती है. ऐसे में देवी की मदद उसके कॉलेज फ्रेंड करते हैं, लेकिन कोई फायदा नहीं होता है. माधुरी अपनी बहन को बचा नहीं पाती है और जैसे उसने भविष्य में देखा था, ठीक वैसे ही उसका बहन रमा का मर्डर हो जाता है, लेकिन रमा के कातिल उसकी लाश छिपा देते हैं. देवी इस बारे में सब जानती है और वह अपने अंकल के यहां चली जाती है, जहां उसकी मुलाकात राम कुमार (जैकी श्रॉफ) से होती हैं. राम और देवी शादी कर उस घर में शिफ्ट हो जाते हैं, जहां रमा का लाश को दफनाया गया था.

फिल्म का बजट और कमाई

जब देवी को फिर से भविष्य दिखता है, तो उसे अपने ही घर में एक टूटी दीवार नजर आती है, जहां एक कंकाल होता और उस पर सिर्फ एक नेकलेस टंगा होता है. देवी जानती थी कि यह नेकलेस किसका है. पुलिस पूछताछ में पता चला कि रमा के लापता होने के बाद से मेंशन बंद पड़ा था. एक बार फिर रमा के कातिलों की तलाश तेज हो जाती है. इस फिल्म को पार्थो घोष ने डायरेक्ट किया था. 157 मिनट की यह फिल्म 31 मई 1991 को रिलीज हुई थी. उस समय 0.95 करोड़ (आज के समय में 8.2 करोड़ रुपये) के बजट में बनी फिल्म ने 8.9 करोड़ रुपये (आज के समय में 77 करोड़ रुपये) का बिजनेस किया था. 

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